Same Sex Marriage: लेस्बियन और गे मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जमकर चली दलीलें, कोर्ट ने कहीं ये बड़ी बातें

नई दिल्ली (निकुंजा वत्स): Same Sex Marriage: भारत में समलैंगिक विवाह के मामले पर अहम सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने फैसला लिया कि जजों की ओर से मामले का गहन अध्ययन करने के बाद ही देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी बनाने के मामले में आखिरी दलीलें 18 अप्रैल को शीर्ष अदालत में पेश की जायेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने आज (13 मार्च 2023) कहा कि भारत में समान सेक्स शादियों की कानूनी मान्यता पर आखिरी बहस 18 अप्रैल को पांच जजों की संविधान पीठ के सामने सुनी जायेगी, जिसमें समलैंगिक विवाह (Lesbian and Gay Marriage) को देश में मौलिक महत्व का मामला बताया गया है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की न्यायिक पीठ ने फैसला सुनाया कि समान-सेक्स विवाह के मसले पर जारी किये गये किसी भी फैसले का समाज पर बहुत बड़ा असर हो सकता है और ये देश में एलजीबीटीक्यू अधिकारों के आंदोलन में अहम मोड़ हो सकता है।

दूसरी ओर केंद्र सरकार ने समलैंगिक जोड़ों की ओर से समान-लिंग विवाह को कानूनी बनाने की याचिका का विरोध किया, फिर भी चीजें याचिकाकर्ताओं के पक्ष में मोड़ ले सकती हैं क्योंकि इस बारे में आखिरी फैसला अभी तक सर्वोच्च न्यायालय की ओर से जारी नहीं किया गया है। मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को एक बार फिर होगी।

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में समान-सेक्स विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है, जिसमें दावा किया गया है कि व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकृत सामाजिक मूल्यों के नाजुक संतुलन के साथ इससे छेड़छाड़ हो सकती है, जिससे कि समाज में लैंगिक झुकाव (Sexual Orientation) के आधार पर भारी उथल पुथल देखी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आज (13 मार्च 2023) सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) से कहा कि, “लेस्बियन कपल या गे कपल की गोद ली हुई संतान का लेस्बियन या गे होना जरूरी नहीं है।” बदले में मेहता ने कहा कि मामले में किसी भी पक्ष की दलीलों को कम करके नहीं आंका जा सकता है, क्योंकि इससे समाज पर बड़ा असर पड़ सकता है।

इससे पहले केंद्र सरकार (Central Government) ने देश में समान-सेक्स विवाह को कानूनी बनाने के खिलाफ सलाह देते हुए कहा था कि-“भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा में जैविक पुरुष और जैविक महिला शामिल हैं, और समलैंगिक विवाह देश में समाज की अवधारणा को बाधित कर सकता है।

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