नई दिल्ली (प्रियंवदा गोप): किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील वाले गृह मंत्रालय के प्रस्ताव मिलने के एक दिन बाद संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha-SKM) ने कई बिंदुओं पर सफाई मांगी है और “खामियों” का हवाला देते हुए और संशोधन के लिए सरकार को प्रस्ताव वापस भेज दिया। किसान संघों की अगुवाई में संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था और इस मामले पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है।
इस मामले पर एसकेएम की 5 सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले (Ashok Dhawale) ने कहा, ”हम इस बात की तारीफ करते हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है और लिखित में कुछ दे रही है लेकिन प्रस्ताव में कुछ खामियां थीं, इसलिए बीती रात हमने इसे कुछ संशोधनों के साथ वापस भेज दिया और उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। हमने सिफारिश की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केंद्रित समिति के गठन की जरूरत है, जिसमें किसान संघ (Farmers Union) के सदस्य भी शामिल होने चाहिये। सरकार ने ये भी कहा कि आंदोलन खत्म करने के बाद हमारे खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं लिये जायेगे जो गलत है। हमें यहाँ ठंड में बैठना पसंद नहीं है”
आगे प्रस्ताव में “खामियों” की ओर इशारा करते हुए धवले ने कहा कि, “मुआवजे को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी गयी है। हमें पंजाब मॉडल की तरह कुछ ठोस चाहिये। उन्होंने बिजली बिल वापस लेने का भी वादा किया था, लेकिन अब वो इस मामलें पर स्टेकहोल्डर्स से संसद में चर्चा करना चाहते हैं। ये अपने आप में काफी विरोधाभासी है।
संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक जरूरी बैठक की। माना जा रहा है इस बैठक में किसान आंदोलन की आगे की दिशा तय की जायेगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार (7 दिसंबर 2021) को केंद्र की प्रतिक्रिया पर चर्चा करने के लिये बैठक की और कहा कि कुछ लंबित मुद्दे अभी भी बाकी हैं।
किसान संगठन ने बताया कि सरकार ने अपने प्रस्ताव में उन्हें पहले धरना खत्म करने को कहा है उसके बाद ही उनके खिलाफ मामले वापस लिये जायेगें इस बात का प्रस्ताव दिया। बीते मंगलवार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एसकेएम के बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) ने कहा कि वे सरकार की इस शर्त को कबूल नहीं करेंगे कि आंदोलन खत्म होने के बाद किसानों के खिलाफ मामले वापस ले लिये जायेगें।
बलबीर सिंह राजेवाल ने इस मुद्दे पर कहा कि, "सरकार का प्रस्ताव कहता है कि हम आंदोलन खत्म करने के बाद ही मामले वापस लेंगे। हम इसके बारे में आशंकित हैं। सरकार को तुरंत (मामलों को वापस लेने) ये प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। कल की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।" .
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के गुरनाम सिंह चढ़ूनी (Gurnam Singh Chadhuni) ने कहा कि केंद्र को 700 से ज़्यादा मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा देते हुए पंजाब मॉडल अपनाना चाहिए। चढ़ूनी ने कहा कि, "700 से ज़्यादा मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे के लिये, हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार (Central Government) पंजाब सरकार के मॉडल का पालन करे, 5 लाख रुपये का मुआवजा और पंजाब सरकार (Punjab Government) द्वारा घोषित नौकरी को भी भारत सरकार द्वारा लागू किया जाना चाहिये।"