न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): मुंबई की विशेष अदालत ने आज (9 नवंबर 2022) शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत (Sanjay Raut) को मुंबई के उत्तरी उपनगरीय इलाके में पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना (Patra Chawl Redevelopment Project) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में जमानत दे दी। कोर्ट ने राउत के कथित सहयोगी प्रवीण राउत की जमानत याचिका को भी मंजूर कर लिया। प्रवर्तन निदेशालय (ED- Enforcement Directorate) ने मामले के सिलसिले में दोनों को गिरफ्तार किया था। राउत को एक अगस्त को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें आर्थर रोड जेल (Arthur Road Jail) में रखा गया है।
गिरफ्तारी के बाद राउत की ये पहली जमानत याचिका थी। उन्होंने सितंबर में ये कहते हुए जमानत के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि उनके खिलाफ ईडी का मामला सत्ता दल की ओर से की गयी बदले की कार्रवाई थी। राउत ने अपनी याचिका में कहा था कि वो 18 साल से ज्यादा समय से शिवसेना (Shiv Sena) के वरिष्ठ नेता हैं और ये मामला सत्ता के गलत इस्तेमाल और सियासी बदले की मिसाल है। उनकी जमानत याचिका में कहा है कि “वर्तमान आवेदक (राउत) सिर्फ सत्ता के राजनीतिक बदलाव का शिकार है और इस तरह सत्तारूढ़ दल अपनी प्रशासनिक मशीनरी का गलत इस्तेमाल कर रहा है।”
ईडी का मामला गोरेगांव (Goregaon) में पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित है जहां ये दावा किया गया कि विस्थापित निवासियों के लिये घर उपलब्ध कराने के बजाय बुनियादी ढांचा कंपनी एचडीआईएल और गुरू आशीष कंस्ट्रक्शन (HDIL and Guru Ashish Construction) नाम की कंपनी के निदेशकों ने उन्हें धोखा दिया। केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया था कि एचडीआईएल और गुरू आशीष कंस्ट्रक्शन के खातों में कुल 1039.70 करोड़ रूपये हासिल हुए, इसमें 112 करोड़ रूपये सह-आरोपी प्रवीण राउत (Praveen Raut) को हासिल हुए थे।
ईडी ने दावा किया प्रवीण राउत का चेहरा सामने करते हुए सांसद को उनके जरिये गैरकानूनी कमायी हासिल हुई। एजेंसी ने पहले आरोप लगाया था कि राउत मामले से जुड़े 1.06 करोड़ रूपये के लाभार्थी थे, बाद में उनकी जांच में 2.25 करोड़ रूपये का भी पता चला।
संजय राउत की ओर से जमानत के लिये अर्जी दायर किये जाने के बाद ईडी ने राज्यसभा सांसद (Rajya Sabha MP) के नाम पर मामले में सप्लीमेंट्री चार्ज शीट (Supplementary Charge Sheet) दायर की। ईडी ने आरोप लगाया कि संजय राउत पुनर्विकास परियोजना के साथ शुरू से ही जुड़े हुए थे। आरोप लगाया कि वो साल 2006 से संबंधित बैठकों में शामिल होते रहे है। ईडी के आरोप पत्र में आरोप लगाया गया था कि प्रवीण “सरकारी अधिकारियों के साथ संपर्क करने और उनसे मंजूरी हासिल करने में पूरी तरह सक्षम था। अधिकारियों से संजय राउत की काफी करीबियां थी, जिसका फायदा उठाते हुए अपराध को अंजाम दिया गया। ईडी ने ये भी आरोप लगाया कि अपराध से होने वाली आमदनी का इस्तेमाल अलीबाग के किहिम (Kihim of Alibaug) में जमीन खरीदने में किया गया।
राउत के वकीलों ने तर्क दिया था कि पुलिस की ओर से दायर मुख्य अपराध में, जिसके आधार पर ईडी का मामला दर्ज किया गया था, उसमें मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने माना था कि प्रवीण को जमानत पर रिहा करने पर कोई आपत्ति नहीं है और क्लोजर रिपोर्ट दायर की जायेगी। वकीलों ने कोर्ट के सामने ये भी पेश किया था कि कथित रूप से जिसे अपराध से कमायी गयी कमाई बताया जा रहा है कोर्ट के सामने उसका स्पष्टीकरण रखा जायेगा।