न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): दिल्ली की केजरीवाल सरकार (Kejriwal government) लगातार कोरोना के मोर्चें पर चुनौतियों से जूझ रही है। हाल ही में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिये दिल्ली सरकार को केंद्र से गुहार लगानी पड़ी। टेस्ट, बेड्स, आईसीयू और दूसरी मेडिकल सहायता के लिये दिल्लीवासियों को दर-बदर की ठोकरें खानी पड़ रही है। मौजूदा ज़मीनी हालात (Ground conditions) दिल्ली सरकार के दावों से ठीक उल्ट है। श्मशान पर बढ़ती भीड़ और मौत के आंकड़े लगातार आम लोगों को डरा रहे है। सोशल मीडिया भारी तादाद में ऐसी पोस्टों से भरा हुआ है। जहां आम जनता दावा कर रही है कि उन्हें अस्पताल के गेट से बाहर ही भगा दिया जा रहा है।
राजधानी दिल्ली का मौजूदा मेडिकल ढांचा पूरी तरह चरमरा गया है। जमकर रेमिडिसीवर की कालाबाज़ारी हो रही है। ऑक्सीजन के लिये लोगों का ब्लैक मार्केट पर निर्भर होना पड़ रहा है। अस्पतालों में भर्ती लेने के बाद मरीज़ों की कोई खोज़ खब़र नहीं ली जा रही है। दिल्ली सरकार की ऐप भले ही बेड्स की उपलब्धता (Beds availability) के दावे करे लेकिन फोन लगाने पर अस्पताल बेड नहीं होने के बात कर रहे है। इन्हीं हालातों के मद्देनज़र दिल्ली से भाजपा सांसद सासंद प्रवेश साहिब सिंह ने केजरीवाल सरकार को पूरी तरह फेल बताते हुए, ट्विट कर लिखा कि- 6 सालों में दिल्ली में एक भी सरकारी अस्पताल बना – नहीं 30 प्रतिशत डॉक्टर की जगह ख़ाली है, उसको भरा – नहीं दिल्ली सरकार ने एक भी oxygen plant लगाया- नहीं, बाक़ी राज्य सरकारें भी प्लांट लगाती है तो केजरीवाल ने क्यों नहीं लगाया। तो हेल्थ बजट का पैसा कहाँ गया ?