नई दिल्ली (शौर्य यादव): दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस में कानून की पढ़ाई कर रहे कई छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। जिसके पीछे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और लॉ फैकल्टी को लचर रवैये को अहम वज़ह माना जा रहा है। इस संस्थान से हर साल सैकड़ो छात्र पढ़ाई करके पेशेवर अधिवक्ता (Professional advocate) बनते है। जिनमें से ज़्यादातर दिल्ली से बाहर के छात्र है। जिनकी पढ़ाई पूरी तरह स्कॉलरशिप की बुनियाद पर खड़ी है। स्टडी मैटेरियल, स्टेशनरी और दूसरे जरूरी बुनियादी खर्चों की भरपाई ये छात्र स्कॉलरशिप के पैसों से करते है।
इस साल कोरोना महामारी की वज़ह से लॉ फैकल्टी के कई छात्र नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (National Scholarship Portal) पर रजिस्ट्रेशन कराने में नाकाम रहे। जिसकी बड़ी वज़ह एडिशन प्रोसेस से जुड़ी प्रक्रिया को माना जा रहा है। गौरतलब है कि स्कॉलरशिप हासिल करने के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर रोल नंबर भरना जरूरी है। ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा संचालित इस पोर्टल पर छात्रवृत्ति के लिए आवेदन जमा कराने की आखिरी तारीख 20 जनवरी थी जबकि लॉ फैकल्टी में क्लासें 25 जनवरी से शुरू हुई। जब तक फैकल्टी का प्रशासनिक विभाग खुला तब तक नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर आवेदन प्रक्रिया को बंद कर दिया गया। यानि कि छात्रों की एडमिशन प्रक्रिया 25 जनवरी के बाद शुरू हुई और उन्हें रोल नंबर का आंबटन किया गया, जबकि छात्रवृत्ति हासिल करने के लिए रोल नंबर काफी अहम है।
इस पूरे घटनाक्रम में लॉ फैकल्टी का प्रशासनिक विभाग और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सीधे तौर पर जिम्मेदार है। दोनों के बीच खुला कम्युनिकेशन गैप देखने को मिला। जिसका खामियाज़ा अब छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। अगर वक्त रहते लॉ फैकल्टी के अधिकारियों ने एडमिशन प्रोसेस शुरू कर दिया होता तो इस तरह की समस्या पैदा ना होती। दूसरी ओर अगर लॉ फैकल्टी का प्रशासनिक विभाग कोरोना महामारी के कारण एडमिशन प्रोसेस नहीं शुरू कर पा रहा था तो, उसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से वक्त रहते बात करके कोई रास्ता निकालना चाहिए था। जिसे वो करने में पूरी तरह नाकाम रहे।
मौजूदा हालातों में इस समस्या की चपेट में करीब 500 छात्र है। जिनके भविष्य पर अब भारी संकट मंडराता दिख रहा है। छात्र चाहते है कि नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर आवेदन मंगाने की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाये। अगर ये मुमकिन नहीं हो पाया तो मज़ूबरन कई छात्रों को बीच कोर्स में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ सकती है। मामले में सकारात्मक हस्तक्षेप (Positive intervention) करते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने यूजीसी को खत लिखकर समस्या सुलझाने की अपील की। मौजूदा हालातों में ढ़ाक के तीन पात वाली स्थिति बनी हुई है। अभी तक छात्रों की लॉ फैकल्टी और यूजीसी की ओर से कोई पुख़्ता आश्वासन नहीं मिला।