बिजनेस डेस्क (राज कुमार): कई महंगे रेस्तरां और होटल अपनी सर्विसेज के लिये कस्टमर्स से सेवा शुल्क (Service Charge) लेते हैं। बहुत से लोग इन अतिरिक्त शुल्कों का स्वेच्छा से भुगतान तब करते हैं जब वो रेस्तरां या होटल द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा से संतुष्ट होते हैं। हालांकि कभी-कभी ग्राहकों को सेवाओं से संतुष्ट न होने के बावजूद भी सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिये मजबूर किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सेवा शुल्क का भुगतान करना स्वैच्छिक है, सिर्फ तभी जब ग्राहक उन्हें मुहैया करवायी गयी सेवा से संतुष्ट हो?
केंद्र सरकार ने बीते सोमवार (23 मई 2022) ने एक बैठक बुलायी जिसमें रेस्तरां मालिकों द्वारा ग्राहकों पर लगाये गये सर्विस चार्ज के मुद्दे पर चर्चा की गयी। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Consumer Affairs, Food and Public Distribution Ministry) के तहत उपभोक्ता मामलों के विभाग (DOCA – Department of Consumer Affairs) ने नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ बैठक बुलाई है, जो कि 2 जून, 2022 को होगी। विभाग द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, बैठक के दौरान “रेस्तरां द्वारा लगाये जाने वाले सर्विस चार्ज के मसले पर पर चर्चा की जायेगी।
बता दे कि कई मीडिया रिपोर्टों और उपभोक्ताओं द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर सर्विस चार्ज के मुद्दे पर लगातार शिकायतें सामने आ रही थी। जिसके मद्देनज़र ये बैठक बुलायी गयी है। मीटिंग के मुख्य एजेंडा रेस्तरां और खानपान वाली जगहों पर उपभोक्ताओं से डिफ़ॉल्ट रूप से सेवा शुल्क वसूलने के बारे में जुड़ा हुआ हैं। सरकार ने अप्रैल 2017 में जारी दिशा-निर्देशों का भी हवाला दिया और दोहराया कि रेस्तरां में ‘सेवा शुल्क’ का भुगतान स्वैच्छिक और उपभोक्ताओं के विवेक पर है।
होटल और रेस्तरां में सर्विस चार्ज को लेकर ये है सरकारी दिशा-निर्देश
- अप्रैल 2017 में DoCA ने सेवा शुल्क पर होटल/रेस्तरां को दिशा-निर्देश जारी किये। दिशानिर्देश में कहा गया है कि रेस्तरां में ग्राहक को सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिये ज़बरन मजबूर नहीं किया जा सकता है। साथ ही ये कि किसी भी हाल में एक फीसदी सर्विस चार्ज ज़्यादा नहीं लिया जा सकता है।
- दिशानिर्देशों के मुताबिक बिल में साफतौर पर लिखा जाना चाहिये कि सेवा शुल्क स्वैच्छिक है, और बिल का सेवा शुल्क कॉलम ग्राहक को भुगतान करने से पहले भरने के लिये खाली छोड़ा जा सकता है।
- ग्राहक की सहमति के बिना लागू करों के साथ मेनू कार्ड पर प्रदर्शित कीमतों का भुगतान करने के लिये ग्राहक द्वारा राशि का ऑर्डर देना और उपर्युक्त के अलावा किसी भी चीज़ के लिये शुल्क लेना। अधिनियम के तहत परिभाषित अनुचित व्यापार व्यवहार की राशि होगी।
- अगर रेस्टोरेंट गलत तरीके से सर्विस चार्ज वसूलते है तो मामले में ग्राहक को अधिनियम के प्रावधानों के तहत उपभोक्ता के तौर पर में अपने अधिकारों का प्रयोग करने और सुनवाई करने का अधिकार है। उपभोक्ता, उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग/उपयुक्त क्षेत्राधिकार के फोरम से संपर्क कर सकते हैं।
- जब कोई ग्राहक कोई खाने का ऑर्डर देता है, तो ये लागू करों के साथ मेनू कार्ड (Menu Card) में दिखाना जरूरी होगा। ग्राहकों को बताये बगैर उनसे सर्विस चार्ज वसूलना पूरी तरह से गलत माना जायेगा। इसके खिलाफ ग्राहक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की ओर रूख़ कर कानूनी कार्रवाई कर सकते है।
- प्रदर्शित कीमतों का भुगतान करने के लिये उनके समझौते के बराबर है, ग्राहक के एक्सप्रेस के बिना इनके अलावा किसी भी चीज़ के लिए शुल्क लेना गलत तौरतरीकों के तहत परिभाषित किया गया है। ग्राहक इसके लिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत कानूनी मामला दायर कर सकते है।
- अगर कोई ग्राहक पहले से वायदा की गयी बुनियादी न्यूनतम सेवा से परे आतिथ्य के लिये होटल प्रबंधन (Hotel Management) को कोई टिप या ग्रेच्युटी का भुगतान करता है, तो ये ग्राहक और होटल या रेस्तरां के कर्मचारियों के बीच अलग लेनदेन माना जायेगा, जो कि ग्राहक के विवेक पर निर्भर करता है।”
- ग्राहक अपना खाना पूरा करने के बाद ही सेवा की गुणवत्ता (Quality of service) का आकलन करने की स्थिति में होता है और फिर तय करता है कि टिप (Tip) का भुगतान करना है या नहीं और अगर करना है तो कितना?