दस में से सात हिन्दुस्तानियों को Cryptocurrencies में बेहद कम या जीरो भरोसा, रिसर्च के नतीज़ों में हुआ खुलासा

न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): बड़ी कमाई के वादे के साथ क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrencies), बिटकॉइन और अन्य टोकन मनी तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के साल 2020 के अपने फैसले में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) के कारोबार पर 2018 लगे प्रतिबंध को हटा लिया। जिसके बाद से क्रिप्टोकरेंसी की खरीद फरोख्त को एक्स्ट्रा माइलेज मिली। WazirX, CoinDCX, और CoinSwitch Kuber जैसी कंपनियों ने सोशल मीडिया इसके एंडोर्समेंट के लिये पुख़्ता स्ट्रैटजी तैयार की। निवेशकों को अपनी ओर खींचने के लिये क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कंपनियों (Cryptocurrency Exchange Companies) ने यूजर्स फ्रैंडली एप्लिकेशन डेवपल किये।

हालाँकि भारत सरकार देश में ज़्यादातर कर्मिशियल क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा सकती है, जिसे लेकर पुख़्ता संभावना ज़ाहिर की जा रही है। 29 नवंबर से शुरू होने वाले आगामी शीतकालीन सत्र (Winter Session) में क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 संसद के पटल में रखा जायेगा।

हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के नतीज़े सामने आये जिसमें कहा गया कि भारतीयों का अब विदेशी क्रिप्टोकरेंसी में विश्वास काफी कम है, क्योंकि सरकार भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाला एक विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है। ये सर्वे लोकलसर्किल द्वारा किया गया, जो कि डिजिटल प्लेटफॉर्म और पोलिंग कंपनी है। इस कंपनी का मुख्य फोकस शासन, सार्वजनिक नीति और सार्वजनिक चिंता पर फोकस करना है।

भारत भर के 342 जिलों के 56,000 से ज़्यादा लोगों ने लोकलसर्किल के इस रिसर्च पर रिस्पांस किया। इस रिसर्च में 66 फीसदी पुरुषों रिस्पांसडेंट/उत्तरदाताओं को शामिल किया गया। साथ ही 34 प्रतिशत महिलाओं ने इसमें हिस्सा लिया। साथ ही 33 फीसदी रिस्पांसडेंट/उत्तरदाता टियर 1, 25 फीसदी रिस्पांसडेंट/उत्तरदाता टियर 2 और बाकी लोग ग्रामीण पृष्ठभूमि से शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक 87 फीसदी भारतीय परिवारों ने डिजिटल करेंसी में कोई निवेश नहीं है।

74 फीसदी लोगों का कहना है कि बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने वाले टीवी और अन्य मीडिया पर मार्केटिंग से जुड़े विज्ञापनों ने वित्तीय जोखिम के खतरों को उजागर नहीं किया है। 76 प्रतिशत चाहते हैं कि नये नियम लागू होने तक क्रिप्टोकरेंसी मार्केटिंग को अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया जाये। 51 प्रतिशत चाहते हैं कि भारत अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च करे जबकि 54 फीसदी चाहते हैं कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के एवज़ में कुछ शुल्क ले। सर्वेक्षण के मुताबिक 71 फीसदी भारतीयों का डिजिटल मुद्राओं में बहुत कम या कोई विश्वास नहीं है, जबकि सिर्फ 1% लोगों का क्रिप्टोकरेंसी में पूरा भरोसा है।

रिसर्च कंपनी लोकल सर्किल (Research Company Local Circle) ने ये जिक्र किया कि आने वाले हफ्तों में सार्वजनिक प्राधिकरण, भारतीय रिजर्व बैंक और संसद सदस्य इस रिसर्च का संदर्भ और नतीज़ें साझा कर सकते है। खासतौर से तब जब संसद के सदन में क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 में इस मुद्दे पर चर्चा की जायेगी।

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