सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन एक कड़वे अन्त की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है। अभी तक तो विरोध के तौर तरीके काफी शांतिपूर्ण थे, ये भारत के इतिहास में मील के पत्थर के तौर स्थापित होता नज़र आ रहा था। लेकिन धीरे-धीरे इस आंदोलन पर कुछ ख़ास लोगों और संस्थाओं का कब़्जा होता जा रहा है। भीम आर्मी जैसे कुछ गुट इसे सियासी रंग देने में जुटे है। जिसकी वज़ह से इस आंदोलन का खात्मा काफी खतरनाक हो सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र देश की छवि धूमिल करने वाली, इन ज़मातों को राष्ट्रीय मुद्दों पर मंच देने की इज़ाजत क्यों दी गयी है ?