Sharad Navratri 2021: नवरात्रि माँ आद्या शक्ति दुर्गा की नौ स्वरूपों को प्रतीक है। जगत जननी माँ परांबा का हर रूप अपने आप में अलग है। इन दिनों साधक अपनी सिद्धियों को सिद्ध कर माँ के आशीर्वाद को मूर्त रूप में बदलते है। जिसके लिये वो नवदुर्गाओं के बीज़ मंत्रों, स्वस्ति मंत्र, दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) और रक्षा कवच का पाठ करते है। इसी क्रम में हम नवदुर्गाओं के गायत्री मंत्र और अन्य बीज़ मंत्रों के बारे में बताने जा रहे है।
मूल मंत्र
ॐ ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः
1. माँ शैलपुत्री देवी
देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बायें हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। यहीं नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए।
माँ शैलपुत्री गायत्री
ओम शैलपुत्र्यै च विदमहे काममालायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
माँ शैलपुत्री मंत्र
1.ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम शैलपुत्री दैव्यायै नमः
2.ओम ऐं शैलपुत्री अखण्ड सौभाग्यं देही साधय नमः
3. ओम शं शैलपुत्र्यै नमः
2.माँ ब्रह्मचारिणी देवी
नवरात्र की द्वितीया तिथि को मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है।
माँ ब्रह्मचारिणी गायत्री मंत्र
ओम ब्रह्मचारिण्यै विदमहे ज्ञानमालायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र
1.ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम ब्रह्मचारिणी दैव्यायै नमः
2.ओम श्रीं पूर्ण भाग्योदयं ब्रहमचारिण्यै श्रीं नमः
3. ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिण्यै नमः
3 माँ चन्द्रघन्टा देवी
शक्ति के रूप में विराजमान मां चंद्रघंटा मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा को धारण किये हुए हैं। देवी का ये तीसरा स्वरूप भक्तों के लिये कल्याणकारी है। इन्हें ज्ञान की देवी भी माना गया है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) के चारों तरफ अद्भूत तेज है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। ये तीन नेत्रों और दस हाथों वाली हैं। इनके दस हाथों में कमल, धनुष-बाण, कमंडल, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र हैं। कंठ में सफेद पुष्पों की माला और शीर्ष पर रत्नजडि़त मुकुट विराजमान हैं। ये साधकों को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान देती हैं।
माँ चन्द्रघन्टा गायत्री मंत्र
ओम चंन्द्रधंटायै विदमहे अर्धचन्द्राय धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
माँ चन्द्रघन्टा मंत्र
ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम चंन्द्रधंटा दैव्यायै नमः
ओम क्लीं रोगान् रोधय चंद्रघण्टायै क्लीं फट्
4. माँ कुष्माण्डा देवी
देवी अष्टभुजा और सिंह पर सवार है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी मां कूष्माण्डा (कूष्मांडा) कहलाती हैं।
माँ कुष्माण्डा गायत्री मंत्र
ओम कुष्माण्डायै च विदमहे सर्वशक्त्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
माँ कुष्माण्डा मंत्र
1.ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम कुष्माण्डा दैव्यायै नमः
2. ओम क्लीं कुष्माण्डायै नमः
3. ओम क्लीं कुष्माण्डे कायाकल्पं क्लीं ओम
5.स्कन्दमाता
भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण इस नवदुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। ये कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासन देवी (Padmasan Devi) भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है। इन्हें कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है। ये दोनों हाथों में कमलदल लिये हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्मस्वरूप सनतकुमार (Brahmaswaroop Sanathkumar) को थामे हुए हैं। स्कंद माता की गोद में उन्हीं का सूक्ष्म रूप है। इनकी पूजा-अर्चना में मिट्टी की 6 मूर्तियां सजाना जरूरी माना गया हैं।
स्कंदमाता गायत्री मंत्र
ओम कुमाराय च विदमहे स्कन्दमातायै च धीमहि तन्नो स्कन्दमाता प्रचोदयात्
स्कंदमाता मंत्र
1.ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम स्कन्दमातायै नमः
2.ओम ऐं ह्मीं स्कन्दमात्रे ह्मीं ऐं नमः
3.ओम ऐं ह्मीं पुत्रान् देही देही ह्मीं ऐं फट्
6. माँ कात्यायनी देवी
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और तेजस्वी है। माँ की चार भुजाएं हैं। माता का दाहिंनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। वहीं बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। मां कात्यायनी की साधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। माँ कात्यायनी की ही कृपा पाकर ब्रज की गोपियों को पति स्वरूप में कृष्ण की प्राप्ति हुई थी। इन्हें ब्रज क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी (Presiding Deity) भी कहा जाता है।
माँ कात्यायनी गायत्री मंत्र
ओम कात्यायन्यै च विदमहे सिद्बिशक्तये च धीमहि तन्नो कात्यायनी प्रचोदयात्
माँ कात्यायनी मंत्र
1.ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम कात्यायन्यै नमः
2. ओम क्रीं कात्यायन्यै क्रीं नमः.
3.,ओम कात्यायन्यै नमः
7. माँ कालरात्रि देवी
माँ कालरात्रि देवी का शरीर अंधकार की तरह काला है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं और गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकती रहती है। मां कालरात्रि को आसुरिक शक्तियों (Demonic Powers) का विनाश करने वाला बताया गया है। इसके साथ ही मां के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं। मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग् अर्थात तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा
माँ कालरात्रि देवी गायत्री मंत्र
ओम कालरात्र्यै च विदमहे सर्वभय नाशिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
माँ कालरात्रि देवी मंत्र
1..ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम कालरात्र्यै नमः
2.. ओम क्रीं ह्मीं क्रीं कालरात्र्यै नमः
3..ओम फट् शत्रुन साधन घातय ओम
8. माँ महागौरी देवी
पर्वत राज हिमालय की पुत्री देवी सती ने जब भगवान शिव का पति के रूप में वरण करने के लिये घोर तपस्या की तो उनका शरीर कठोर तप के कारण काला पड़ा। भगवान पाशुपति नाथ ने देवी सति का तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गंगाजल से स्नान कराया। जिसके बाद उनके शरीर की आभा तेजमय गौरवर्ण (Shining Glory) की हो उठी, जिसके कारण उन्हें महागौरी नाम से जाना गया।
माँ महागौरी देवी गायत्री मंत्र
ओम अम्बिकायै विदमहे महागौर्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
माँ महागौरी देवी मंत्र
1ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम महागौरी देव्यायै नमः
2.ओम नवनिधीप्रदाय महागौरी देव्यायै नमः
3. ओम श्रीं ह्लीं क्लीं महागौर्यै वरदायै नमः
9. माँ सिद्धिदात्री देवी
सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह हैं और इनका आसन कमल है। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा, ऊपर वाले हाथ में चक्र तथा बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में शंख और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प है। नवरात्र- पूजन के नवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन माता सिद्धिदात्री की उपासना से उपासक की सभी सांसारिक और आध्यात्मिक इच्छाएं और आवश्यकतायें पूरी हो जाती है
माँ सिद्धिदात्री देवी गायत्री मंत्र
ओम सिद्धिदात्र्यो च विदमहे सर्वसिद्धिदायिनी च धीमहि तन्नो भगवती प्रचोदयात्
माँ सिद्धिदात्री देवी मंत्र
1.ओम ऐं ह्मीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः ओम सिद्बिदात्री दैव्यायै नमः
2.ओम ह्मीं श्रीं सिद्धिदात्री शक्तिरूपायै ह्मीं श्रीं ओम
3. ओम ऐं ह्मीं श्रीं श्री सिद्बिदात्र्यै श्रीं ह्मीं ऐं नमः
4. ओम शं सिद्धिदात्र्यै नमः