Shiv Sena ने 12 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की, क्या इससे उद्धव ठाकरे को मिलेगी मदद?

न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): अपने ही विधायकों द्वारा घिरी शिवसेना (Shiv Sena) ने पलटवार करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर (Deputy Speaker) को खत लिखकर 12 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की। इस मसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बागी खेमे के नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने कहा कि, “आप (उद्धव ठाकरे) अयोग्यता के लिये 12 विधायकों के नाम देकर हमें डरा नहीं सकते क्योंकि हम शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे (Bal Thackeray) के अनुयायी हैं। हम कानून जानते हैं, इसलिये हमें धमकियों पर ध्यान नहीं देना चाहिये कि इस कदम के पीछे शिवसेना की क्या रणनीति है?

शिवसेना ने बीते गुरूवार (23 जून 2022) को विधायकों की बैठक बुलाई थी। बागी विधायक गुवाहाटी (Guwahati) के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं, इसलिये वो इस बैठक में साफतौर पर नदारद रहे। उद्धव ठाकरे गुट ने इस तथ्य को उनकी अयोग्यता की मांग का आधार बनाया है।

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत (Shiv Sena MP Arvind Sawant) ने मीडिया को बताया कि बैठक से पहले एक नोटिस जारी किया गया था कि अगर वो (गुवाहाटी में बैठे बागी विधायक और एकनाथ शिंदे) मीटिंग में शामिल नहीं हुए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। चूंकि उन्होंने ऐसा नहीं किया, इसलिए शिवसेना ने डिप्टी स्पीकर को खत लिखा।

सावंत ने आगे कहा कि, “हमने डिप्टी स्पीकर (महाराष्ट्र विधानसभा के) के समक्ष एक याचिका दायर की है और मांग की है कि 12 (विधायकों) की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिये क्योंकि वे कल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बैठक से पहले नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर आप बैठक में शामिल नहीं हुए तो संविधान के मुताबिक कानूनी कार्रवाई की जायेगी। कुछ नहीं आये और कुछ ने बेबुनियादी वज़हें बतायी।”

बता दे कि ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे, प्रकाश सुर्वे (Prakash Surve), तानाजी सावंत, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीप भुमारे, भरत गोगावाले, संजय शिरसत, यामिनी यादव (Yamini Yadav), अनिल बाबर, बालाजी देवदास और लता चौधरी को अयोग्य ठहराने की मांग की है।

शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु (Sunil Prabhu) ने पार्टी विधायकों को एक खत जारी कर बैठक में मौजूद रहने को कहा था। खत में कहा गया है कि अगर कोई गैरमौजूद रहता है तो ये माना जायेगा कि उस विधायक ने अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ने का फैसला किया है। इस बीच एकनाथ शिंदे ने कहा कि बैठक में शामिल नहीं होने के लिये विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि, “हम आपके तरीके और कानून भी जानते हैं। संविधान की अनुसूची 10 के मुताबिक व्हिप का इस्तेमाल विधानसभा के काम के लिये किया जाता है, बैठकों के लिये नहीं।”

शिवसेना अब शक्ति परीक्षण के लिये कमर कस रही है, शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी के 55 में से 37 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। पार्टी का दावा है कि वो पहले से ही उन 20 से ज़्यादा विधायकों के संपर्क में है, जो उद्धव ठाकरे खेमे में वापस लौटना चाहते हैं। शिंदे खेमे को दलबदल विरोधी कानून के शिकंजे से बचने के लिये 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। अगर 37 विधायकों का गुट एक साथ रहता है तो वो असली शिवसेना होने का दावा पेश कर सकते है और भविष्य में पार्टी का चुनाव चिह्न मांग सकते है। अगर 12 विधायक अयोग्य ठहराये जाते हैं तो माना जायेगा कि शिवसेना ने नाकाबंदी तोड़ दी है।

कानून के तहत अयोग्य ठहराये जाने के डर से कई विधायक इस फेहरिस्त में शामिल हो सकते हैं। ये अन्य बागी विधायकों की अयोग्यता का रास्ता भी साफ कर सकता है। अगर सभी बागी विधायक अयोग्य घोषित कर दिये जाते हैं तो कम से कम इन सीटों पर नए सिरे से चुनाव होने तक शिवसेना सरकार सुरक्षित रहेगी।

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