उद्धव ठाकरे अब खुलकर NRC की मुखालफत करने लगे है। उनके मुताबिक इसका सीधा असर मुसलमानों पर तो होगा ही, साथ ही इस ज़द में वो हिन्दू भी आयेगें जो वनवासी है। जो आदिवासी समुदाय के लोग वनों में, पहाड़ों में और सुदूर इलाकों में रहते है, वो लोग नागरिकता का प्रमाण कहां से लायेगें। अगर हालात ऐसे बनते है तो हिन्दू आदिवासी भी सड़कों पर उतर सकते है। और हम ऐसा हर्गिज नहीं होने देगें।
उद्धव ठाकरे के मुताबिक CAA का मसला बेहद सुलझा हुआ है, किसी को देश के बाहर नहीं निकाला जायेगा। घुसपैठियों को बाहर निकालने का हम भी स्वागत करते है। बाला साहेब की भी यहीं सोच रही है। मौजूदा केन्द्र सरकार अनुचित तरीके से इसका श्रेय लूट रही है। देश में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों को खदेड़ने की जरूरत है। सभी घुसपैठिये एक जैसे होते है, उनमें अन्तर नहीं किया जा सकता है। साथ ही उन्हें पद्म सम्मान देने की कोई जरूरत नहीं है।
असम में हुई एनआरसी पर केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़े करते हुए उद्धव ने कहा- अगर एनआरसी की प्रक्रिया देश भर में शुरू की जाती है तो सभी को अपनी नागरिकता के सुबूत देने होगें। ये कानून हिन्दुओं के लिए भी खतरे की घंटी है। असम में हुई NRC में तकरीबन 19 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाये। इनमें 14 लाख हिन्दू शामिल थे। अभी NRC कानून लागू नहीं हुआ है। बिना इसका मसौदा देखे, पूरी तरह से इसका विरोध करना भी उचित नहीं है।
CAA के मसले पर जनता के बीच तस्वीर साफ ना करने करने को लेकर उन्होनें कहा- देशभर में हालात एकदम अज़ीब हो गये है। NRC की आलोचना करो तो, आपको देशद्रोही बता दिया जाता है, समर्थन करे तो आप देशभक्त है। आखिर ऐसा कब तक चलेगा। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जनता के संशय को दूर करने की जरूरत है। केन्द्र सरकार इसे लेकर जागरूक नहीं हो रही है। लोग इसके अपने-अपने तरीके से अर्थ निकाल रहे है, जिससे भय का माहौल बन रहा है। पड़ोसी देशों के उन अल्पसंख्यक प्रवासियों को नागरिकता देना, जिनका धार्मिक आधारों पर उत्पीड़न हुआ है। ये कवायद ठीक है। इसके तहत किसी की नागरिकता नहीं छीनी जायेगी।