नई दिल्ली (रचित गोस्वामी): 6 जुलाई के पावन श्रावण मास (Shravan Maas) शुरू होने वाला है। लॉकडाउन के दौरान पड़ने वाले इस पवित्र महीने में कई त्यौहार भी आते है। लॉकडाउन के दौरान इस बार त्यौहारों की रंगत कुछ फीकी रहेगी। जिसकी वज़ह से श्रद्धालुओं को घर में ही रहकर सभी पूजा विधियों और रीति-रिव़ाज़ों (Worship methods and rituals) का पालन करना होगा।
इस बार में सावन में अद्भुत संयोग (Amazing coincidence) बनता दिख रहा है। पांच सोमवारों के साथ श्रद्धालु भगवान शिव से अपना मनोवांछित वरदान हासिल कर सकते है। ज्योतिषीय गणनाओं (Astrological calculations) के मुताबिक 06 जुलाई से पड़ने सोमवार को श्रावण मास की शुरूआत होगी।
दूसरा सोमवार 13 जुलाई और तीसरा 20, चौथा 27 को पड़ेगा। 03 अगस्त को श्रावण मास की पूर्णिमा के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार (Rakshabandhan festival) मनाया जायेगा। जिसके साथ ही इस पुनीत महीने का पारायण हो जायेगा।
सावन मास में भारी वर्षा होने का योग है। साथ की गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य सम्पन्न कराये जा सकेगें। वहीं इस सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करते है। सूर्य का ये गोचर सभी 12 राशियों पर अपना सीधा असर डालता है। 20 जुलाई यानि कि तीसरे सोमवार को श्रावणी अमावस्या (Shravani Amavasya) का योग बन रहा है। इस पितृ देवताओं की शांति और उन्हें संतुष्ट करने के लिए पिंडदान और दान-धर्म का विशेष महात्मय (special significance of pindadaan and charity) है।
ज्योतिषीय सलाह
श्रद्धालु अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार (According to financial situation) भगवान शिव का जलाभिषेक (Lord Shiva’s Jalabhishek) और रूद्राभिषेक करवा सकते है। ‘नम: शिवाय ओम् नमः शिवाय ‘ के मंत्रोच्चार के साथ भोलेनाथ को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं। शिव आराधना के दौरान शिवलिंग पर केतकी के फूल अर्पित करने से बचे। तुलसी पत्र और नारियल पानी भी शिवपूजा में पूर्णतया वर्जित है।
सावन से जुड़ी कथायें
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक श्रावण महीने के दौरान ही भगवान शिव ने कालकूट विष का सेवन किया था। जिसके कारण वे नीलकंठ कहलाये। स्कंद पुराण (Skanda Purana) के अनुसार इसी महीने में देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने शिव को पति के रूप में वरण करने के लिए अखंड निराहार व्रत (Uninterrupted fast) किया था।