नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): द वायर (The Wire) के संस्थापक संपादक और वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई एफ.आई. आर. के विरोध में 3,500 से ज्यादा लोगों ने विरोध दर्ज कराया है। विरोध जताने वाले लोगों में दो पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत सहित सुप्रीम कोर्ट, मद्रास हाई कोर्ट और पटना हाई कोर्ट के कई पूर्व जज भी शामिल है। इन सभी लोगों ने संयुक्त रूप से सिद्धार्थ वरदराजन पर चल रही कानूनी कार्रवाई को मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया। साथ ही इन लोगों ने पुरजोर मांग उठाते हुए कथित आपराधिक कार्यवाही को स्थगित करने की मांग की।
लामबंद हो रहे इन हस्ताक्षरकर्ताओं ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से दरख्वास्त करते हुए कहा कि- कोविड-19 की आड़ में मीडिया की स्वतंत्रता को ना कुचला जाए। मेडिकल आपातकाल को पॉलिटिकल इमरजेंसी में बदलने की कोशिश ना हो। ये कवायद बढ़ रहे इंफेक्शन के खतरे के बीच आम जनता के सूचना के अधिकार में खलल डालती है। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले प्रशासन और पुलिस का रवैया काफी अचरज भरा है। इसलिए तत्काल प्रभाव से आपराधिक कार्यवाही और प्राथमिकी को रद्द किया जाए। साथ ही मीडिया महामारी के बढ़ रहे खतरे का सांप्रदायीकरण करना बंद करे।
सिद्धार्थ वरदराजन के पक्ष में चल रहे, हस्ताक्षर अभियान को पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा का भी समर्थन मिला। इस हस्ताक्षर अभियान में अकादमिक, अभिनय, कला, लेखन और न्यायपालिका जगत के कई लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। साथ ही स्वतंत्र और तटस्थ मीडिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। गौरतलब है कि वरदराजन ने तब्लीगी जमात वाले मसले पर ट्वीट किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ अयोध्या में एफ.आई.आर. दर्ज हुई। कथित ट्वीट के मुताबिक- जिस दौरान दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात का मरकज़ चल रहा था, उसी वक्त यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर देते हुए कहा था कि, रामनवमी का मेला हमेशा की तरह अयोध्या में आयोजित किया जाएगा।
फिलहाल की तस्वीर तो यही बयां करती है, सिद्धार्थ वरदराजन को न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना ही होगा। हस्ताक्षर अभियान की कवायद मात्र उनकी विश्वसनीयता को जाहिर करती हैं, तयशुदा न्यायिक प्रक्रिया में ऐसे हस्ताक्षर अभियानों की मान्यता बेहद कम ही होती है।