एजेंसियां/न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI- Stockholm International Peace Research Institute) ने बीते आज (14 मार्च 2022) एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें साफ देखा गया कि कुछ एशियाई और आसियान मुल्क (ASEAN countries) जमकर हथियारों की खरीदारी कर रहे है। माना जा रहा है कि ऐसा वो चीन की बढ़ती क्षेत्रीय आकांक्षाओं के मद्देनज़र कर रहे है। ये विश्लेषण साल 2013 से 2021 के बीच वैश्विक हथियारों की खरीद-फऱोख्त का किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक टॉप टेन वेपन इम्पोर्टर (Weapon Importer) में से छह एशियाई और आसियान मुल्क थे। इसमें भारत प्रमुख हथियार आयातक था, भारत का कुल सैन्य साज़ोसामान (Military Equipment) का आयात 11 फीसदी था, फिर भी इस क्षेत्र के आयात में 4.7 फीसदी की सीधी गिरावट देखी गयी। हथियारों के खरीद से जुड़े चलन में दक्षिण-एशियाई मुल्कों और भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) में काफी असमानता देखी गयी।
भारत साल 2017-2021 के दौरान दुनिया में सबसे बड़ा हथियारों का खरीदार था। भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, चीन, दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान और जापान समेत पांच अन्य देश हथियारों के शीर्ष दस खरीदारों में शामिल है। इस मामले पर स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान के आर्म्स ट्रांसफर प्रोग्राम के वरिष्ठ शोधकर्ता सीमन टी. वेज़मैन (Seaman T. Weisman) ने कहा कि, ‘चीन के लगातार एशिया और आसियान देशों से बढ़ती तल्खियां ने इन देशों में सैन्य तनाव के चलते हथियारों की खरीद को बढ़ावा दिया।’
सैन्य तनाव भी इस इलाके में अमेरिकी हथियारों की खरीद का बड़ा सब़ब रहा है। वाशिंगटन (Washington) एशिया और आसियान का सबसे बड़ा वेपन सप्लायर बना हुआ है, क्योंकि हथियारों का एक्सपोर्ट चीनी विस्तारवाद (Chinese Expansionism) के नज़रिये से अमेरिकी विदेश नीति अहम हिस्सा बन गया है।