Social Work: सामाजिक क्षेत्र या नागरिक समाज भारत जैसे लोकतंत्र के लिये काफी अहम है। फिर भी दुख की बात है कि हम इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और संगठनों के लिये अनुकूल माहौल बनाने से बेहद दूर हैं। साथ ही बेहद गिने चुने मुट्ठी भर लोग ही इसमें काम करना चाहते हैं या इसे करियर के तौर पर आगे बढ़ाना चाहते हैं।
सामाजिक कार्य के मूल मूल्य – मानव सेवा, सामाजिक न्याय और समानता, दूसरे व्यक्ति की गरिमा और मानवीय संबंध हममें से ज़्यादातर लोगों में ये लगभग गुम से हो गये है। इस स्थिति को बदलना होगा ताकि भारत में विविध सामाजिक क्षेत्र बना रहे और इसे संकाय की औपचारिक शिक्षा (Formal Education) के माध्यम से प्राप्त किया जा सके। ये न सिर्फ लोगों को संवेदनशील बनाने में मदद करेगा बल्कि इस क्षेत्र को अधिक व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से देखने में भी मदद करेगा, ताकि इससे जुड़ी कवायदें परोपकारी और मिशन-आधारित हो जाये।
दान घर से शुरू होता है और इसके अलावा इसे स्कूल में अगले स्तर तक ले जाना चाहिये। इस क्षेत्र में युवा प्रभावशाली दिमाग का इस्तेमाल बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये एक व्यक्ति को जीवन भर के लिये इस क्षेत्र में ढालेगा। इसलिए स्कूली स्तर पर औपचारिक शिक्षा में इसे विषय के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिये। जिससे कि इस क्षेत्र को करियर विकल्प के रूप में भी खोलने में काफी मदद मिलेगी।
बच्चों को ऑन-फील्ड अनुभव (On-Field Experience) के साथ-साथ पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में समाज सेवा के बारे में सीखना समाज में वंचितों के सामने आने वाली सामाजिक चुनौतियों से परिचित करायेगा। इसके लिये बच्चों को टीवी शो और फिल्मों के निर्माण, प्रिंट, नई पीढ़ी के डिजिटल लर्निंग टूल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, एनिमेशन, वीडियो टूल्स और समग्र पाठ्यक्रम डिजाइन करने जैसे वैकल्पिक तरीकों के माध्यम से शिक्षित किया जाना चाहिये।
सामाजिक क्षेत्र में काम करने के कई फायदे हैं, जिनमें सबसे बड़ा संतोष मिलता है। ये तथ्य कि आप आँसुओं को मुस्कान में बदलने में, दुख को खुशी में बदलने में और किसी को उज्जवल पथ पर मार्गदर्शन करने में सक्षम है तो आपको समाज सेवा से जुड़ना चाहिये। हालांकि सामाजिक क्षेत्र धीरे-धीरे और लगातार स्वीकार्य होता जा रहा है और करियर के अवसरों के लिये ये बेहतरीन करियर ऑप्शन के तौर पर ढ़लता जा रहा है।
जब हम भारत में सामाजिक क्षेत्र के शिक्षा पाठ्यक्रमों और पश्चिमी दुनिया में पेश किये जाने वाले पाठ्यक्रमों की तुलना करते हैं तो हम देख सकते हैं कि हम अभी भी समाज के मूलभूत मुद्दों और जरूरतों को सीख रहे हैं और उनकी जांच कर रहे हैं।
पश्चिम में अध्ययन को इस तरह विकसित किया गया है कि वे अब समाज के सूक्ष्म स्तर के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। उनकी शिक्षा प्रणाली समाज के सामने आने वाले हर सामाजिक मुद्दे के लिये विशेषज्ञता विकसित करने में पूरी सक्षम रही है।
इसलिए ग्रामीण और शहरी आबादी में अत्यधिक कुशल व्यावसायिक प्रशिक्षण (Vocational Training) कार्यक्रमों के लिये भारत में पाठ्य सामग्री को सुव्यवस्थित करना, कौशल-आधारित शैक्षिक कार्यक्रमों पर दिशा-निर्देश देना, समग्र सामाजिक व्यावसायिक पाठ्यक्रम (प्रमाणित और डिग्री पाठ्यक्रम) तैयार करना, अंततः पाठ्यक्रम में हिस्सा लेने के लिये प्रोत्साहित करना बेहद अहम है।
अपेक्षाकृत हाल ही में उभरने के बावजूद सामाजिक क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र बन गया है, जहां सफल करियर के लिये सभी अकादमिक प्रमाण-पत्र आवश्यक हैं। इस क्षेत्र ने करियर विकल्पों के लिये वैध स्थान बनाया है।
संरचित सामाजिक कार्य शिक्षा प्रणाली वाले देश में 120 से ज़्यादा कॉलेज हैं, जो कि निजी, सरकारी डिग्री और प्रमाणन समेत 100 से ज़्यादा पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। मुंबई का टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) और दिल्ली विश्वविद्यालय सामाजिक-कानूनी पाठ्यक्रम (Socio-Legal Course) इस क्षेत्र में जाने माने संस्थान और पाठ्यक्रम है।
सामाजिक कार्य कार्यक्रम में स्नातक खासतौर से वैधानिक, स्वैच्छिक, सरकारी और निजी क्षेत्रों में गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक विकास एजेंसियों के साथ मध्यम और निचले स्तर के पदों पर कार्यरत लोगों के लिए फायदेमंद है। पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए मूल पात्रता मानदंड किसी भी स्ट्रीम में 10+2 या समकक्ष योग्यता है।
जहां तक मास्टर्स की बात है, इसमें सकारात्मक प्रवृत्ति देखी गई है - विभिन्न धाराओं के छात्र सामाजिक विज्ञान में मास्टर्स कर रहे हैं। कई ऐसे भी सर्टिफिकेट कोर्स भी हैं जिन्हें मैट्रिक के बाद लिया जा सकता है।
इस कोर्स को करने के बाद आप भर्ती क्षेत्र परामर्श केंद्र, आपदा प्रबंधन केंद्र, निजी क्लीनिक, शिक्षा संस्थान, लिंग मुद्दे संघ/समूह, स्वास्थ्य उद्योग, मानव संसाधन विभाग, आयु गृह, जेल, मानवाधिकार एजेंसियां, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन कंपनियां, अस्पताल, गैर सरकारी संगठन आदि से जुड़ा जा सकता है।
इसके अलावा नौकरी के अन्य विकल्पों के तौर पर सलाहकार, शिक्षक, ग्राहक सेवा सहयोगी, कार्मिक प्रबंधक, सहायक प्रोफेसर, शिक्षक व्याख्याता, जिला सलाहकार, चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता, प्रोफेसर, कनिष्ठ अनुसंधानकर्ता, कल्याण अधिकारी, वरिष्ठ प्रबंधक, परियोजना समन्वयक, सहायक निदेशक, श्रम कल्याण अधिकारी, और अभ्यास प्रमुख के तौर पर भी करियर ऑप्शन मिलते है।
सामाजिक कार्यकर्ता गरीबों और शोषितों के उत्थान, गरीबी उन्मूलन, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, अनाथों और वृद्धों के लिये काम करते हैं। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपने काम के जरिये लोगों की मदद करने में योगदान दे सकता है।
भारत में लगभग 3.2 मिलियन पंजीकृत एनजीओ और कई और अपंजीकृत एनजीओ (unregistered NGOs) हैं। इसके अलावा हजारों कॉर्पोरेट और निजी कंपनियां हैं जिन्हें योग्य पेशेवर सामाजिक कार्यकर्ताओं की जरूरत होती है।
सामाजिक कार्य नौकरी के बहुत सारे अवसर प्रदान करता है। सामाजिक कार्यकर्ता नवजात से लेकर बुजुर्ग लोगों तक की जनसांख्यिकी के साथ काम करते हैं। वे मानवता के उत्थान के लिये व्यक्ति, परिवारों और समुदायों की सेवा करते हैं। इसलिए इस क्षेत्र के प्रति सामाजिक उदासीनता जैसी कोई चीज़ नहीं जुड़ी हुई है, जिसके साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र रह सकता है।