आज पूरा देश नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 123 वीं जयन्ती मना रहा है। नेताजी के जीवन का सफर 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा का कटक से शुरू हुआ, लेकिन ये सफर कहां आकर थमा इसे लेकर आज तक कई किस्से और कई मिथक देशभर में फैले हुए है। इस का अन्दाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि, आये दिन बॉलीवुड में नेताजी से जुड़े हुई कई फिल्में और वेबसीरीज आ चुके है। बोस दि अनफॉरगेटबल हीरो, रागदेश, बोस डेड/अलाइव, द फॉरगेटन ऑर्मी, गुमनामी जैसे नामों की लंबी फेहरिस्त है।
नेताजी के जीवन में कई नाटकीय घटनायें है। गांधी जी से वैचारिक मतभेद के बावजूद दो बार कांग्रेस की कमान संभाली, भेष बदलने में माहिर, हिटलर से मिलना, जापान की मदद से 85000 सैनिकों वाली आज़ाद हिन्द फौज तैयार करना, ब्रिटिश राज के दौरान कोहिमा को स्वतन्त्र घोषित करते हुए तिरंगा फहराना, आज़ाद हिन्द फौज के नाम पर करेंसी जारी करना इत्यादि
महिला सशक्तिकरण को लेकर वे उस समय जागरूक थे, जब इसके बारे में कोई सोच नहीं सकता था। आज़ाद हिन्द फौज के साथ उन्होनें रानी झांसी रेजिमेंट का भी गठन किया। जिसमें महिलाओं ने हथियार थामे। देश में आज तक ऑर्मी में महिलाओं को कॉम्बैट रोल देने के लिए पहल नहीं हुई, उस दौरान नेता जी थे जिन्होनें ये काम कर दिखाया।
सोवियत संघ, हिटलर, जर्मनी और जापान से मदद मांगकर ब्रितानी हुकूमत के वजूद को चुनौती दी। इतिहासकार मानते है कि अगर उस दौरान विश्व युद्ध ना चल रहा होता तो, ये सारी ताकतें नेता जी के आवाह्न पर मिलकर भारत को आजाद करने की कुव्वत रखती थी। माना जाता है अडॉल्फ हिटलर अपने जीवन में बहुत ही काम लोगों से प्रभावित हुआ, उनके से एक नेता जी थे।
हिन्दुस्तानियों की काबिलियत साबित करने के लिए साल 1920 के दौरान बहुत मुश्किल मानी जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षा पास की। जलियांवाला बाग घटना से आहत होकर स्वतन्त्रता आंदोलन में कूद पड़े। उनके जीवन का सबसे रहस्यमय पक्ष रहा उनकी मृत्यु जिससे जुड़े कई किस्से और कई कयास है। पहला है ताईवान में हवाई दुर्घटना जिसमें उनकी मृत्यु की बात की गयी है, साथ ही ये भी कहा गया कि उनकी अस्थियां रैकोंजी मंदिर में सुरक्षित है। दूसरी थ्योरी फैजाबाद के गुमनामी बाबा से जुड़ी हुई। वक्त वक्त पर कई थ्योरियां सामने आती रही है। उनके गायब होने को लेकर भारत सरकार ने खोसला आयोग का भी गठन किया। इससे भी कुछ पुख़्ता जानकारियां सामने नहीं आयी है।