भद्रा (Bhadra) सूर्य भगवान की पुत्री हैं सूर्य भगवान की पत्नी छाया से उत्पन्न है और शनि भगवान की सगी बहन हैं यमराज, यमुना, अश्विनी कुमारों, रेवन्त, वैवस्वत मनु, सवर्णि मनु और तपती की भी बहन थी। भद्रा काले वर्ण, लंबे केश, बड़े दांत वाली और भयंकर रूप वाली कन्या है। इनका स्वभाव भी शनिदेव (Shani Dev) की तरह ही कड़क है। जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी साथ ही सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी। भद्रा संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘अच्छा’, ‘सौभाग्य’ या ‘शुभ’।
भद्रा के इस व्यवहार को देखकर भगवान सूर्य ने भद्रा का विवाह करने का विचार किया परन्तु असफल रहे। सूर्य भगवान ने विवाह मंडप बनवाया पर भद्रा ने सब नष्ट कर दिया। भगवान सूर्यनारायण चिंताग्रस्त हो विचार करने लगे भद्रा का विवाह किस के साथ करूं प्रजा के दुःख को देखकर ब्रह्माजी (Brahmaji) स्वयं सूर्य नारायण (Surya Narayan) के पास आये और भद्रा के विषय में चिंता प्रकट की।
ब्रह्माजी ने तब भद्रा से कहा कि भद्रे बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो तथा जो व्यक्ति भद्रा के दौरान विवाह संस्कार, मुण्डन संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, यात्रा, त्यौहार, नया कार्य, रक्षा बंधन मांगलिक कार्य करे, तो तुम उन्हीं में विघ्न डालो। जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम बिगाड़ देना।’ इस तरह उपदेश देकर ब्रह्माजी अपने लोक चले गये। इसलिये भद्रा काल में कोई शुभ कार्य नही करने की परंपरा चली आ रही है।
शुभ भी होती है भद्रा
भद्रा के समय अवधि 7 घंटे से 13 घंटे 20 मिनट तक की मानी जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और एकादशी तथा कृष्ण पक्ष की तृतीया और दशमी तिथि वाली भद्रा दिन में शुभ होती है, सिर्फ रात्रि में अशुभ होती है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी और पूर्णिमा तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी तिथि वाली भद्रा रात्रि में शुभ होती है, सिर्फ दिन में अशुभ होती है।
भद्रा के दौरान इन कामों को करने से बचे
अशुभ भद्रा के दौरान विवाह संस्कार, मुण्डन संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, शुभ कार्य के लिये यात्रा, त्यौहार, नया कार्य आदि की शुरुआत नहीं करनी चाहिये।
भद्रा के दौरान किये जा सकते है ये काम
किसी पर मुकदमा, शत्रु पक्ष से मुकाबला, राजनीतिक कार्य, सीमा पर युद्ध, ऑप्रेशन के लिये, वाहन खरीदने आदि कार्यों के लिये भद्रा शुभ होती है। अदालती कार्य, शत्रु पक्ष से मुकाबला, राजनीतिक कार्य, चिकित्सा ऑपरेशन आदि कार्यों के लिए, भद्रा शुभ होती है।
भद्रा के अशुभ प्रभावों से बचने के लिये जातकों को भद्रा के दिन सुबह उठकर भद्रा के बारह नामों का स्मरण करना चाहिए। भद्रा के बारह नाम इस तरह हैं- धन्या, दधिमुखी, भद्रा, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली, और असुरक्षयकारी भद्रा।