नई दिल्ली (देवेंद्र कुमार): कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने आज (20 सितंबर 2023) संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) पर चर्चा शुरू की। सोनिया गांधी ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023’ विधेयक को अपना समर्थन देते हुए इसे तत्काल लागू करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि विधेयक को लागू करने में देरी देश की महिलाओं के साथ घोर अन्याय हुआ है। सोनिया गांधी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए लोकसभा में कहा कि- “मैं नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के समर्थन में खड़ी हूं। महिलाओं से कहा जा रहा है कि इस विधेयक के कानून बनने के लिये उन्हें और इंतजार करना होगा। हमारी मांग है कि इस बिल को तुरंत कानून बनाया जाये चूंकि विधेयक को लागू करने में देरी देश में महिलाओं के साथ घोर अन्याय है। मैं सरकार से इसे तुरंत करने की अपील करती हूं।”
उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति (ओबीसी/एससी) समुदायों की महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये जाति जनगणना आयोजित करने की भी मांग की। लोकसभा में अपने भाषण से पहले सोनिया गांधी ने कहा कि, “ये राजीव जी (गांधी) का सपना (बिल) था।”
इसी मसले पर सोनिया गांधी ने कहा कि- “ये मेरे जीवन का भावनात्मक क्षण है। पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं की अगुवाई को तय करने के लिये संवैधानिक संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी की ओर से लाया गया था, तब ये राज्यसभा (Rajya Sabha) में सात वोटों से हार गया था। बाद में कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narasimha Rao) के नेतृत्व में सरकार ने इसे राज्यसभा में पारित कर दिया, नतीजन हमारे पास स्थानीय निकायों के माध्यम से देश भर में 15 लाख निर्वाचित महिला नेता हैं। राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) का सपना सिर्फ आधा अधूरा ही पूरा हुआ है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है और विधेयक के पारित होने से खुश है लेकिन कहा कि कुछ चिंतायें भी हैं।
महिला आरक्षण का लाभ एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं को भी मिले इसी मुद्दे पर सोनिया गांधी ने कहा कि- “मैं एक सवाल पूछना चाहूँगी। भारतीय महिलायें पिछले 13 सालों से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का इंतजार कर रही हैं। अब उनसे कुछ साल और इंतजार करने को कहा जा रहा है, कितने साल? क्या भारतीय महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार उचित है? कांग्रेस (Congress) की मांग है कि विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाये लेकिन जाति जनगणना भी की जानी चाहिये साथ ही एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिये आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिये…”
इस विषय पर शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि- “जितना उत्साह और खुशी कल थी, सरकार ने उसपर पानी फेर दिया। जनगणना के बाद परिसीमन होकर इस बिल को लागू किया जाएगा। अगले 5-6 साल तक ये लागू होने वाला नहीं है। जब आप (केंद्र सरकार) इसे लागू ही नहीं कर रहे तो आप इस बिल को लेकर क्यों आए?”
मामले को लेकर लोकसभा पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा- “मैं इस (महिला आरक्षण बिल) बिल के समर्थन में खड़ी हूं जोकि पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल में लागू किया जा चुका है। पश्चिम बंगाल देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां एक महिला मुख्यमंत्री हैं जबकि देश के 16 राज्यों में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इनमें से किसी भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं है। ममता बनर्जी ने महिलाओं के हित के लिए बुलंद तरीके से अपनी आवाज़ उठाई है। विशेष रूप से भारतीय विधानसभा में हमारे पास देश में किसी और विधानसभाओं की तुलना में सबसे अधिक महिलाएं हैं, हमारे यहां ममता बनर्जी के साथ-साथ कई महिला मंत्री है।”
बता दे कि सदन में विधेयक को पारित करने के लिये चर्चा आज सुबह 11 बजे शुरू हुई, जब केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Union Law Minister Arjun Ram Meghwal) ने विधेयक में संशोधन पेश किये। माना जा रहा है कि विधेयक 21 सितंबर को राज्यसभा में पेश किया जायेगा।