नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): Special Parliament Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (18 सितंबर 2023) ने कहा कि संसद का विशेष सत्र ऐतिहासिक फैसलों का गवाह बनेगा। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र (Five-Day Special Parliament Session) आज सुबह 11 बजे से शुरू हुआ। बता दे कि आज का सत्र पुराने संसद भवन में आयोजित किया जायेगा और सांसद विशेष सत्र के दूसरे दिन 19 सितंबर को नये संसद भवन में आयेगें। इस मौके पर संसद भवन परिसर (Parliament House Complex) में पीएम मोदी ने कहा कि- ”इस समय हम सभी पूरे देश में उत्साह का माहौल और देश नया आत्मविश्वास का अनुभव कर रहे हैं। इसी समय संसद का ये सत्र हो रहा है। ये सत्र छोटा है, लेकिन समय की दृष्टि से बहुत बड़ा है। ये ऐतिहासिक फैसलों का सत्र है। इस सत्र की खासियत ये है कि 75 साल की यात्रा नई मंजिल से शुरू हो रही है। अब हमें एक नई जगह से यात्रा को आगे बढ़ाते हुए 2047 तक देश को विकसित देश बनाना है। इसके लिये सभी फैसले नये संसद भवन में लिए जायेगें।”
प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से इस सत्र में कारगर ढंग से योगदान देने, पुरानी समस्याओं को पीछे छोड़कर नये सदन में नई चीजें लाने की भी गुज़ारिश की। उन्होंने कहा कि, “मैं सभी सम्मानित सांसदों से आग्रह करता हूं कि ये छोटा सत्र है। उन्हें जोश और उत्साह के साथ यहां ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए। बाद में रोने के लिये बहुत समय होगा। रोने धोने के लिये बहुत समय होता है, करते रहो। जीवन में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो आपको उत्साह और विश्वास से भर देते हैं। मैं इस छोटे सत्र को ऐसे ही देखता हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि, ”कल गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर हम नई संसद में जायेगें। भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ भी कहा जाता है, अब देश के विकास में कोई बाधा नहीं आयेगी… ‘निर्विघ्न रूप से सारे सपने, सारे संकल्प भारत परिपूर्ण करेगा’…संसद का ये सत्र भले ही छोटा हो, लेकिन इसका दायरा ऐतिहासिक है।”
प्रधानमंत्री ने चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) मिशन की कामयाबी की तारीफ करते हुए कहा कि शिव शक्ति प्वाइंट (Shiv Shakti Point) प्रेरणा का नया केंद्र बन गया है। इसी मसले पर उन्होनें कहा कि-“चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर हमारा तिरंगा फहरा दिया। शिव शक्ति पॉइंट प्रेरणा का एक नया केंद्र बन गया है, और तिरंगा पॉइंट हमें गर्व से भर रहा है। दुनिया भर में जब भी ऐसी कोई उपलब्धि हासिल होती है तो उसे इससे जोड़कर देखा जाता है। आधुनिकता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जब ये क्षमता दुनिया के सामने आती है तो कई अवसर और संभावनायें भारत के दरवाजे पर दस्तक देती हैं।”
बता दे कि 23 अगस्त को भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई जब चंद्रयान -3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा, जिससे ये ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला भारत पहला देश बन गया और चंद्रयान की क्रैश लैंडिंग पर निराशा खत्म हो गयी। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर कामयाब ढंग से उतरने वाला भारत इस फेहरिस्त में चौथा देश बन गया।
भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन के सफल समापन पर प्रधान मंत्री ने कहा, “भारत को हमेशा गर्व रहेगा कि हम जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान ग्लोबल साउथ की आवाज बने और अफ्रीकी संघ जी20 का स्थायी सदस्य बन गया। ये सब भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि, ”यशोभूमि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र भी कल (17 सितंबर 2023) देश को समर्पित किया गया।”
Special Parliament Session के दौरान पीएम मोदी ने सदन में कहीं ये अहम बातें
- देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले, उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है।
- ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था। लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों के लगा था।
- 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है। हम भले ही नए भवन में जाएंगे। लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
- अमृतकाल की प्रथम प्रभा का प्रकाश, राष्ट्र में एक नया विश्वास, नया आत्मविश्वास, नई उमंग, नए सपनें, नए संकल्प और राष्ट्र का नया सामर्थ्य उसे भर रहा है। आज चारों तरफ भारतवासियों की उपलब्धि की चर्चा गौरव के साथ हो रही है।
- चंद्रयान-3 की सफलता से आज पूरा देश अभिभूत है। इसमें भारत के सामर्थ्य का एक नया रूप जो आधुनिकता, विज्ञान, technology, हमारे वैज्ञानिकों और जो 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प की शक्ति से जुड़ा हुआ है। वो देश और दुनिया पर नया प्रभाव पैदा करने वाला है।
- G20 की सफलता किसी व्यक्ति या दल की नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है। भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थाई सदस्य बना।
- हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत ‘विश्व मित्र’ के रूप में अपनी जगह बना पाया है। आज पूरा विश्व, भारत में अपना मित्र खोज रहा है, भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है।
- इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है।
- दुनिया भर में लोग भारत की उपलब्धियों की तारीफ कर रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता भारत की क्षमता का एक नया पक्ष दर्शाती है जो नवाचार, प्रौद्योगिकी, विज्ञान और हमारे वैज्ञानिकों की क्षमताओं से संबंधित है।
- जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था।
- मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंच गया। प्रारंभ में यहां महिलाओं की संख्या कम थी। लेकिन धीरे-धीरे माताओं, बहनों ने भी इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है।
- करीब-करीब 7,500 से अधिक जनप्रतिनिधि अबतक दोनों सदनों में अपना योगदान दे चुके हैं। इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है।
- आतंकियों से लड़ते-लड़ते सदन और सदन के सदस्यों को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेलीं, आज मैं उनको भी नमन करता हूं। वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की है।
- आज भारत विश्वामित्र के रूप में पहचाना जा रहा है! पूरी दुनिया भारत को मित्र के रूप में देख रही है; इसका मुख्य कारण वेदों से लेकर विवेकानन्द तक की हमारी संस्कृति है। ‘सबका साथ सबका विकास’ का मंत्र हमें दुनिया को एकजुट करने में मदद कर रहा है।
- आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया। एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं। उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं। एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है।
- ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है। सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति खपा दी।
- आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया। एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं। उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं।
- हमारे शास्त्रों में माना गया है कि किसी एक स्थान पर अनेक बार जब एक ही लय में उच्चारण होता है तो वह तपोभूमि बन जाता है। नाद की ताकत होती है, जो स्थान को सिद्ध स्थान में परिवर्तित कर देती है। मैं मानता हूं कि इस सदन में 7,500 प्रतिनिधियों की जो वाणी यहां गूंजी है, उसने इसे तीर्थक्षेत्र बना दिया है। लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति आज से 50 साल बाद जब यहां देखने के लिए भी आएगा तो उसे उस गूंज की अनुभति होगी कि कभी भारत की आत्मा की आवाज यहां गूंजती थी।
- आज़ादी के बाद के दौर में कई विद्वान लोगों ने भारत के बारे में तरह-तरह की चिंताएँ उठाईं। उन्होंने इस बात पर आशंका जताई कि क्या भारत आगे बढ़ पाएगा या नहीं, क्या यह एकजुट रहेगा या नहीं, क्या भारत में लोकतंत्र बचेगा या नहीं। लेकिन ये इसी संसद की ताकत है कि दुनिया को गलत साबित कर दिया गया। तमाम शंकाओं और अंधकार के बावजूद भारत फला-फूला!
- बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था, इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था, और इसी सदन ने भारत के लोगों की ताकत का एहसास कराते हुए लोकतंत्र की वापसी भी देखी थी।
- सबका साथ, सबका विकास का मंत्र, अनेक ऐतिहासिक निर्णय, दशकों से लंबित विषय और उनका समाधान भी इसी सदन में हुआ। धारा 370 ये सदन हमेशा याद रखेगा। वन नेशन वन टैक्स, GST का निर्णय भी इसी सदन ने किया। ‘वन रैंक, वन पेंशन’ भी इसी सदन ने देखा। गरीबों के लिए 10 % आरक्षण बिना किसी विवाद के इसी सदन में हुआ।
- इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था। लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों का लगा था। हम भले ही नए भवन में जाएंगे। लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।