एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): श्रीलंका दशकों के सबसे खराब आर्थिक संकट (Sri Lanka Economy crisis) का सामना कर रहा है। आम लोगों ने सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और सार्वजनिक आक्रोश पैदा किया है। इस बीच श्रीलंका के प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे (Prime Minister Mahinda Rajapakse) ने प्रदर्शनकारियों से सामूहिक प्रदर्शनों को समाप्त करने की अपील की है।
पेट्रोल-डीजल से लेकर खाद्य उत्पादों और दवाओं जैसी अन्य जरूरी चीजों की भारी कमी के चलते लोग हाथों में झंडे, बैनर और पोस्टर लिए सड़कों पर उतर आये हैं। श्रीलंका में एक साल में पेट्रोल के दाम 85 फीसदी बढ़े। डीजल 69 फीसदी महंगा हो गया। एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 84 फीसदी का उछाल आया।
मीडिया से बात करते हुए पूर्व प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) को इस्तीफा देना चाहिये या लोगों को समझाना चाहिए कि वो आखिर ऐसा क्यों नहीं करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि श्रीलंका को दक्षिण एशिया में अपने दोस्तों – भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को खाद्यान्न उधार लेना चाहिये, जो दो या तीन साल बाद वापस किया जा सकता है।
श्रीलंका में एक किलो हल्दी की मौजूदा कीमत 3853 रुपये है, जिसमें 443% का सीधा उछाल है। एक किलो ब्रेड 3583 रुपये में मिल रहा है। इसकी कीमत में भी 443% का इजाफा हुआ है। चावल की कीमत में 93 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है, जबकि मसूर दाल की कीमत में 117% की बढ़ोत्तरी हुई है।
बाजार में एक किलो चावल की न्यूनतम कीमत अब 200 रुपये से बढ़कर 240 रुपये हो गयी है। सरकार को कई जरूरी चीज़ों के इम्पोर्ट को प्रतिबंधित करने के लिये मजबूर किया गया है – जिसमें खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जिससे दूध पाउडर और चावल जैसी जरूरी चीजों की कीमत बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है।
श्रीलंका में ईंधन की भारी कमी के बीच भारत इसे हल करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। भारत ने हाल ही में 40 हजार मीट्रिक टन डीजल और 36 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल श्रीलंका को बतौर क्रेडिट लाइन पहुँचाया। मौजूदा संकट से निपटने के लिये सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज पाने के लिये बातचीत करने की कोशिश कर रही है। इस बीच सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) लाने की तैयारी की जा रही है।
श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक एसजेबी ने इसके लिये सांसदों से दस्तखत भी लेने शुरू कर दिये हैं।