States Government का फैसला, ना निगलते बने, ना उगलते

नई दिल्ली (निकुंजा राव): देशभर की सभी राज्य सरकारों (States Government) ने गुटखा पान, मसाला और तंबाकू उत्पादों को लेकर अजब स्थिति पैदा कर दी है। कोरोना (Corona) संकट को देखते हुए बीते 1 अप्रैल को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तंबाकू उत्पादों के उत्पादन, संग्रहण, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर थूकने की कड़ी पाबंदियां भी लगाई। मौजूदा हालातों में पान मसाला उत्पादक को लेकर States Government का फैसला, ना निगलते बने, ना उगलते वाली स्थिति में उलझा दिख रहा है।

28 प्रदेशों की राज्य सरकारें और केंद्र शासित राज्य ने एकमत से फैसला लिया कि, पान मसाला का उत्पादन पहले की तरह जारी रहेगा। लेकिन इसके खाने और सूखने पर सख्त प्रतिबंध लगे रहेंगे। ऐसे में पान मसाला उत्पादकों के लिए पशोपेश की स्थिति बनी हुई है। पान मसाला जब इस्तेमाल ही नहीं होगा, तब उत्पादन करने का मतलब ही नहीं रह जाता। अगर राज्य सरकारें पान मसाला और दूसरे तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल पर लगी पाबंदी हटाती है तो उत्पादन प्रक्रिया बढ़ पाएगी। गौरतलब है कि स्वास्थ्य सचिव की ओर से सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखे गए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पान मसाला गुटखा और दूसरे तंबाकू उत्पाद खाने के बाद लोगों को थूकने की तलब लगती है। जिसे वे अक्सर रोक नहीं पाते। ऐसे में थूक से बाहर आई लार में वायरस होने की पूरी संभावना बनी रहती है। ऐसे में इन्फेक्शन को बढ़ने में मदद मिलती है।

दूसरी ओर पान मसाले, गुटखा और दूसरे तंबाकू उत्पाद स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ प्रतिरोधक क्षमता को भी खोखला करते हैं। ऐसे में लगाए गए प्रतिबंध जायज है। पान मसाला उत्पादकों को उत्पादन के लिए राज्य सरकारों से हरी झंडी मिलने के बाद शंका की स्थिति बनी हुई है। अगर सरकार की ओर से इस्तेमाल पर पाबंदी लगी हुई है तो ऐसे में उत्पादन में निवेश करने से क्या फायदा ?

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More