न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): दिवाली के दौरान राजधानीवासियों ने फेस मास्क (Mask) ना पहनकर और सोशल डिस्टेसिंग का धत्ता बताकर हालातों को एक बार फिर बिगाड़ दिया है। कोरोना संक्रमण की रफ़्तार जून महीने वाले स्तर पर पहुँचती दिख रही है। हालातों को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्वदलीय बैठक (All party meet) बुलाई, जिसके बाद उन्होनें वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस (Virtual press conference) कर बताया कि- अब से दिल्ली में मास्क ना पहनने पर जुर्माने की रकम 2000 रूपये होगी, जो कि पहले 500 रूपये हुआ करती थी।
वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम केजरावाल ने कहा- मैं लोगों से घरों में ही रहकर छठ पूजा मनाने की अपील करता हूँ। कोरोना के हालातों को देखते हुए सभी सियासी पार्टियों ने एक साथ एक मंच पर आकर काम करना चाहिए। फिलहाल हम लोग बेहद खराब दौर से गुजर रहे है। इन हालातों में सियासत नहीं होनी चाहिए। इसके लिए आगे कई और भी मौके आयेगें। हमें कुछ वक़्त के लिए सियासी छींटाकशीं से बचना होगा। दिल्ली सरकार द्वारा बुलाई सर्वदलीय के दौरान भाजपा और कांग्रेस ने अपना मत दिल्ली सरकार के सामने रखा। इस दौरान दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी (Delhi Pradesh Congress President Anil Kumar Chaudhary) ने सीएम केजरावाल से लिखित आग्रह किया कि, केजरीवाल सरकार छठ पूजा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे।
हाल ही में सीएम केजरीवाल की सिफारिश पर उपराज्यपाल अनिल बैजल (Lieutenant Governor Anil Baijal) ने अपनी मंजूरी दे दी। जिसके अन्तर्गत दिल्ली में होने वाले विवाह समारोह में अब 200 की जगह सिर्फ 50 मेहमान ही शिरकत कर पायेगें। साथ ही दिल्ली सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि तयशुदा अन्तराल (Default interval) पर स्थिति की समीक्षा करते हुए नियम और पाबंदियों पर छूट देने पर विचार भी किया जा सकता है। गौरतलब है कि सर्वदलीय बैठक में भाग लेने से पहले नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने अपने इरादे साफ कर दिये थे। जिसमें उन्होनें कहा था कि, वो दिल्ली सरकार के सामने बाज़ारों को फिर बंद करने, विवाह कार्यक्रमों में मेहमानों की संख्या पर पाबंदी लगाने और सार्वजनिक छठ पूजा करने की प्रशासनिक मनाही का मुद्दा काफी जोर-शोर से उठायेगें।