न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): सुनंदा पुष्कर मौत के मामले (Sunanda Pushkar death case) में कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ आरोपों को तैयार करने का आदेश देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने मामले की सुनवाई को 18 अगस्त तक के लिये बढ़ा दिया है। इस बीच अदालत ने दिल्ली पुलिस को मामले से संबंधित अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की मंजूरी भी दी।
गौरतलब है कि सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात को दिल्ली के एक लक्जरी होटल के सूइट में मरी हुई पायी गयी थी। कांग्रेसी सांसद शशि थरूर को दिल्ली पुलिस इस मामले में मुख्य आरोपी मान रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर जो फिलहाल इसे मामले में जमानत पर हैं, उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने चार्ज-शीट में 498-ए, 306 और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
इससे पहले इस आदेश की घोषणा के साथ अदालत की कार्रवाई स्थगित हो गयी। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने हाल ही में अभियोजन पक्ष और रक्षा वकील की दलीलें सुनने के बाद फैसलों की सुरक्षित रखा लिया और आरोपों की फ्रेमिंग के आधार पर निष्कर्षों तक पहुँचने की बात कहीं।
इससे पहले लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने जोर देकर कहा कि पुष्कर मानसिक क्रूरता (Mental Toughness) से गुजरी, जिससे उनकी सेहत गिरती गयी उन्होनें ये भी तर्क दिया कि ये दुर्घटना से हुई मौत नहीं थी और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि मृत्यु का कारण जहर है।
थरूर की तरफ से वरिष्ठ वकील विकास पहवा ने कहा कि अभियोजक शशि थरूर के खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाये है और उनके लगाये इल्ज़ामों के पीछे कोई ठोस बुनियाद नहीं है। ऐसे में जहरीले इंजेक्शन (Poisonous injection) की बात पूरी तरह से बेमानी है। इसके बाद थरूर के वकील ने सुनंदा पुष्कर के बेटे का बयान पढ़कर सुनाया जिसे आपराधिक प्रक्रिया संहिता के धारा 161 के तहत दर्ज किया था।
सुनंदा पुष्कर के बेटे ने बयान में कहा था कि एम्स शवघर में मैंने पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर से मौत का कारण पूछा तो उसने ज़हर दिये जाने की बात से इंकार किया लेकिन बाद में वही डॉक्टर मीडिया में आकर जहर देने की थ्योरी वाली बात कह गया। शशि थरूर एक मक्खी तक को नुकसान नहीं पहुंचा सकते।