न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार आज (1 जुलाई) भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को ये कहते हुए फटकार लगाई कि उनका गुस्सा उदयपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिये सीधे तौर पर जिम्मेदार है, जहां एक दर्जी की हत्या कर दी गयी थी। शीर्ष अदालत ने आगे निलंबित भाजपा (BJP) नेता को दोषी ठहराया और कहा कि उन्होंने और “उनकी बेलगाम जीभ” ने पूरे देश में आग लगा दी और देश में जो हो रहा है उसके लिये वो अकेले जिम्मेदार हैं, उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिये।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice Surya Kant and Justice JB Pardiwala) की अगुवाई वाली न्यायिक पीठ (Judicial Bench) ने टीवी समाचार चैनल की बहस के दौरान दिये गये उनके बयान के लिये नूपुर शर्मा को फटकार लगायी और उदयपुर की घटना (Udaipur Incident) का जिक्र करते हुए कहा कि “उनका गुस्सा इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिये जिम्मेदार है। जहां दो लोगों ने एक दर्जी की हत्या कर दी” पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) पर नूपुर शर्मा के कथित बयान के लिये कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकी को जांच के लिये दिल्ली ट्रांसफर करने के शर्मा के अनुरोध को खारिज करते हुए न्यायिक पीठ ने उनके वकील मनिंदर सिंह (Advocate Maninder Singh) से कहा कि, “अदालत की अंतरात्मा इस दरख्वास्त संतुष्ट नहीं है। हम उनके (नुपूर) के मुताबिक कानून नहीं बना सकते।”
शर्मा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने इसके बाद याचिका वापस ले ली। सुनवाई के दौरान जब सिंह ने पीठ से कहा कि शर्मा को अपनी जान का खतरा है तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ”उन्हें खतरा है या वो सुरक्षा के लिये खतरा बन गयी है?” पीठ ने आगे कहा कि, “जिस तरह से उन्होनें पूरे देश में भावनाओं को भड़काया है। देश में जो हो रहा है उसके लिये ये महिला अकेले जिम्मेदार है।”
शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि, “हमने इस बात पर बहस देखी कि उन्हें कैसे उकसाया गया। लेकिन उन्होंने जिस तरह से ये सब कहा और बाद में कहा कि वो दस साल की वकील है? ये शर्मनाक है। उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिये।”
पीठ ने ज्ञानवापी (Gyanvapi Masjid) मामले पर चर्चा की मेजबानी के लिये टीवी समाचार चैनल पर भी कड़ा रूख अपनाया, जिसमें शर्मा मेहमान वक्ताओं में से एक थी, ने ये विवादास्पद बयान दिये थे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि -टीवी न्यूज चैनल और शर्मा ने क्या काम किया, ऐसे मामले पर चर्चा कि जो विचाराधीन है। इस तरह के विवादस्पद बयान देने के पीछे क्या मंशा थी, खास तरह के एजेंडा को बढ़ावा देने के अलावा?” वरिष्ठ अधिवक्ता ने शीर्ष अदालत को बताया कि शर्मा ने अपने विवादस्पद बयान (Controversial Statement) के लिये माफी मांगी है और बयान को वापस ले लिया। इस पर पीठ ने कहा कि उन्होंने माफी मांगने और बयान वापस लेने में बहुत देर कर दी।
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “उन्हें टीवी पर जाकर देश से माफी मांगनी चाहिये थी।” पीठ ने आगे कहा कि, “उन्हें अपना बयान वापस लेने में बहुत देर हो चुकी थी … और वो भी बिना शर्त से ये कहते हुए पीछे हट जाती है कि अगर भावनाओं को ठेस पहुंची है।” अदालत ने कहा कि उन्होनें देश के ताने-बाने के बारे में सोचे बिना बयान दिया है। नुपूर शर्मा ने इरादतन भड़काने के लिए बयान दिये।
शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने ये भी कहा कि ये बिल्कुल भी धार्मिक लोग नहीं हैं, धार्मिक लोग हर धर्म का सम्मान करते हैं। कोर्ट ने शर्मा को उनके अहंकार के लिये भी फटकार लगाई और कहा कि क्योंकि वो एक पार्टी की प्रवक्ता हैं, सत्ता उनके सिर पर चढ़कर बोल रही थी।
पीठ ने कहा कि, “याचिका में उनके अहंकार की बू आती है कि देश के मजिस्ट्रेट उनके लिये बहुत छोटे हैं। अगर आप किसी पार्टी के प्रवक्ता हैं तो ये इस तरह की बातें कहने का लाइसेंस नहीं है।”
शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि उन्हें लगता है कि उनके पास बैक अप पावर है और वो देश के कानून का सम्मान किये बगैर कोई भी बयान दे सकती है। उनकी विवादास्पद टिप्पणी या तो सस्ते प्रचार, राजनीतिक एजेंडा या कुछ नापाक हरकतों से ज़्यादा कुछ नहीं है।
न्यायिक खंडपीठ ने मामले दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को भी कटघरे में खड़ा किया। कोर्ट ने पूछा कि- नूपुर शर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद दिल्ली पुलिस ने क्या किया है? जब शर्मा के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि वो जांच में शामिल हो रही हैं और भाग नहीं रही हैं, तो कोर्ट पीठ ने कहा कि, “हमारे सामने अपना मुंह मत खोलो। डिबेट् शो आपके लिये रेड कार्पेट रहा होगा, रेड कार्पेट।”
जब वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने तर्क दिया कि ये तय कानून है कि एक ही अपराध के लिये कई एफआईआर नहीं हो सकती हैं और अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इस पर कोर्ट ने कहा कि- “पत्रकार की आज़ादी का मुकाबला राजनीतिक प्रवक्ता की आज़ादी से नहीं किया जा सकता है, जो टेलीविजन पर बयान दे रहा है और देश भर में भावनाओं को भड़का रहा है।”
नुपूर शर्मा के वकील ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने कई प्राथमिकी के लिये मानदंड निर्धारित किये हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि- “जब आप किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हैं तो वो व्यक्ति गिरफ्तार हो जाता है लेकिन कोई भी आपको छूने की हिम्मत नहीं कर सकता ऐसा बयान ये आपके दबदबे को दिखाता है।”
बता दे कि शीर्ष अदालत शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पैगंबर मुहम्मद के बारे में टीवी समाचार चैनल की बहस पर उनकी बयानों के लिए देश भर में उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर (FIR) दिल्ली ट्रांसफर किये जाने की मांग की गयी थी, जिसके कारण कई राज्यों में हिंसक विरोध और दंगे हुए थे।