न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज (8 जुलाई 2022) ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक को “पांच दिनों” के लिये अंतरिम जमानत को मंजूरी दे दी। बता दे कि पिछले महीने उन्हें विवादस्पद सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने के लिये दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने गिरफ्तार किया। ये कथित पोस्ट साल 2018 के दौरान साझा की गयी थी। जुबैर को इस शर्त पर अंतरिम जमानत दी गयी है कि वो कोई पोस्ट नहीं करेंगे। मामले से संबंधित मुद्दे पर ताजा ट्वीट नहीं करेगें साथ ही सीतापुर मजिस्ट्रेट कोर्ट (Sitapur Magistrate Court) का अधिकार क्षेत्र नहीं छोड़गें। शीर्ष अदालत ने कहा, “जुबैर बेंगलुरू (Bangalore) या कहीं और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगें।”
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी (Justice Indira Banerjee and Justice JK Maheshwari) की अवकाशकालीन पीठ ने एक ट्वीट के जरिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सीतापुर में जुबैर के खिलाफ दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दे दी। जुबैर ने जमानत के लिये बीते गुरूवार (7 जुलाई 2022) शीर्ष अदालत का रूख किया। ज़ुबैर की पेशी के दौरान पुलिस ने दावा किया था कि अभद्र भाषा और सांप्रदायिक अपराधों के मामलों में पुलिस की एक “नई” रणनीति पर काम कर रही है, जहां अपराधियों के साथ-साथ विवादस्पद पोस्ट साझा करने वाले के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाती है।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की पीठ के सामने याचिका का जिक्र करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस (Senior Advocate Colin Gonsalves) ने दावा किया कि जुबैर को अपनी जान का खतरा है। फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट के पत्रकार की अपील में सीतापुर प्राथमिकी में जांच पर रोक लगाने और यूपी सरकार को याचिकाकर्ता पर मुकदमा चलाने या गिरफ्तार न करने का निर्देश देने की मांग की गयी है।
गोंसाल्वेस ने आज कोर्ट में तर्क दिया कि जुबैर के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनाया जा सकता है। उन्होनें शीर्ष अदालत के सामने कहा कि, “इस मामले की नींव एक ट्वीट है। हम कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हैं, और पुलिस या न्यायिक हिरासत के सवाल अब कोई मायने नहीं रखते हैं। कोई मामला नहीं बना है और कार्यवाही को रद्द करने की आवश्यकता है,”
उन्होनें आगे कहा कि- ये देश क्या कर गया है। इसका पर्दाफाश करने वाला जेल में है और इस काम को जारी रखने वाले जमानत पर है। नफरत फैलाने वालों ने संविधान, जजों पर की टिप्पणी। जुबैर ने जजों, संविधान के खिलाफ इस तरह की जहरीली भाषा का पर्दाफाश किया है… और वो इसके लिए जेल में है”
इस बीच यूपी पुलिस (UP Police) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने तथ्य-जांचकर्ता पर “तथ्यों को छिपाने” का आरोप लगाया और कहा कि उनकी याचिका में ये जिक्र नहीं किया गया था कि उनकी जमानत याचिका कल सीतापुर कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इसके जवाब में गोंजाल्विस ने शीर्ष अदालत को बताया कि याचिका में उल्लेख किया गया है कि सीतापुर पुलिस पत्रकार की पुलिस हिरासत की मांग कर रही है।