नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): सुप्रीम कोर्ट ने आज (31 जुलाई 2023) जातीय तनाव से जूझ रहे मणिपुर (Manipur) में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिये बड़े पैमाने तंत्र विकसित करने का आह्वान किया और पूछा कि मई से राज्य में ऐसी घटनाओं में कितनी एफआईआर दर्ज की गयी हैं? केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि अगर शीर्ष अदालत मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी करती है तो भारत सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी।
सुनवाई कर रही न्यायिक पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (Justice JB Pardiwala and Justice Manoj Mishra) भी शामिल है, बेंच मणिपुर में हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
मामले की सुनवाई की शुरुआत में पीड़िता दो महिलाओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) पेश हुए, जिन्हें 4 मई के वीडियो में मणिपुर में नग्न परेड कराते हुए देखा गया था, उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मामले में एक याचिका दायर की है। मामले में सुनवाई चल रही है।
शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि वो संघर्षग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को नंगा घुमाने के वीडियो से पूरा देश बुरी तरह हिला हुआ है। कोर्ट ने आगे कहा था कि- हिंसा को अंजाम देने के लिये महिलाओं को जरिया बनकर इस्तेमाल करना संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य है।
वीडियो पर संज्ञान लेते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और मणिपुर सरकार को मामले तुरंत दखल देने का फरमान जारी करते हुए पुनर्वास और दंगा रोकथाम करने वाले कदमों से अवगत कराने का निर्देश दिया।
बता दे कि 27 जुलाई को केंद्र ने शीर्ष अदालत को जानकारी देते हुए बताया था कि उन्होनें जातीय हिंसा जूझ रहे मणिपुर में दो महिलाओं को नंगा घुमाये जाने से जुड़े मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है, उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि “महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध को लेकर न्यायालय जीरो टॉलरेंस रखती है”।
मामले में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला (Secretary Ajay Kumar Bhalla) के जरिये दायर एक हलफनामे में शीर्ष अदालत से तयशुदा समय में सिलसिलेवार तरीके से मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिये केस को मणिपुर के बाहर ट्रांसफर करने का भी आग्रह किया। मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कई लोग मारे गये हैं और कई सौ घायल हुए हैं, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय (Meitei Community) की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था।