इन हालातों के बीच जो सबसे खराब चीज है, वो है वित्त मंत्री (Finance Minister) की मगरूरियत। जब उनसे कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में आ रही गिरावट के मद्देनजर उपभोक्ताओं (Consumers) को मिलने वाले लाभ के बारे में पूछा गया। तो उनके चेहरे पर हैरत उठी और उन्होंने वणक्कम कहा। उनका ये रवैया घमंड की पराकाष्ठा (Culmination of boasting) है। आम आदमी के शब्दों में वित्त मंत्री के रवैये को समझें तो उन्हें आंशिक तौर पर पार पाना मुश्किल है, साथ ही यह उनके मानसिक दिवालियेपन (Mental bankruptcy) की और भी इशारा करता है। एक और देश में उभरते हालातों (Emerging conditions) पर उनसे जवाब देते नहीं बन रहा है। दूसरी ओर वित्त मंत्री को पाकिस्तान (Pakistan) के हालातों में खास दिलचस्पी है। देशभर में चारों और आर्थिक संकट (Economic Crisis) मुंह बायें खड़े हैं, पब्लिक सेक्टर यूनिट (Public sector unit) की धड़ल्ले से सरे बाजार नीलामी चल रही है, तकरीबन सभी बैंक दिवालियेपन की कगार पर पहुंच गए हैं। बेरोजगारी मॉब लिंचिंग (Mob lynching) और बलात्कार की खबरें रोजाना ही देशभर के आम आदमियों को झकझोर रही हैं। अगर किसी के दिमाग पर इन बातों का असर नहीं पड़ता, तो निश्चित रूप से वो सरकार ही है। ये बात पानी की तरह साफ है कि, सरकार आम नागरिकों के हितों को ताक पर रखकर अपने पूंजीवादी (Capitalist) दोस्तों की मदद करना ज्यादा बेहतर समझती है।
Image Courtesy- CNBC