नई दिल्ली (शौर्य यादव): तब्लीगी ज़मात के मरकज़ (Markaz) में वायरस इन्फेक्टेड पाए गए, वो सभी ज़माती जिन्होनें अपना क्वॉरटांइन (Quarantine) पूरा कर लिया है। अब वे प्लाज़्मा दान कर वायरस इंफेक्शन से लोगों की ज़ान बचायेगें। हाल ही में कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बीमारी से उबर चुके लोगों से ब्लड़ प्लाज़्मा (Blood plasma) करने की अपील की थी। जिसके बाद से कई जमाती स्वेच्छा से इस काम के लिए सामने आये। सुल्तानपुरी क्वॉरटांइन सेंटर के चार ज़मातियों ने शुरूआत करते हुए सबसे पहले ब्लड़ प्लाज़्मा दान किया। तकरीबन 300 और ज़माती प्लाज़्मा देने के लिए रज़ामंदी ज़ाहिर कर चुके है। दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग इस काम को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कमर कस चुका है। इससे पहले ज़मात प्रमुख मौलान साद (Maulana Saad) भी वायरस इंफेक्शन से उबर चुके ज़मातियों से प्लाज़्मा दान करने की गुज़ारिश कर चुके है।
ज़मातियों के इस फैसले के बाद ट्विटर पर #तब्लीगी_जमात_पर_गर्व_है ट्रेंड कर रहा है। कई लोग ज़मातियों को उनके इस फैसले के लिए हीरो बता रहे है। तो कई लोग इसे डमेज कन्ट्रोल (Control damage) करने की कवायद बता रहे है।
पहले ट्रायल के दौरान प्लाज़्मा थेरेपी (Plasma therapy) ने कारगर नतीजे दिये थे। जिसके बाद दिल्ली सरकार (Delhi government) की ओर से इस प्रक्रिया को अगले चरण में ले जाने की घोषणा की गयी थी। दिल्ली के साकेत मैक्स अस्पताल (Saket Max Hospital) में इस मेडिकल प्रक्रिया को अंज़ाम दिया गया था। जिसके बाद से डोनरों से प्लाज़्मा डोनेट करने की अपील की गयी थी।
रमज़ान (Ramadan) के मुकद्दस महीने में रोजेदारों द्वाराप्लाज़्मा दान करके लोगों की ज़ान बचाना बेहद सव़ाब का काम है। लेकिन समुदाय विशेष को समझना होगा कि, कथित धर्मगुरूओं (religious leaders) और उपदेशक (preachers) की बातों का आँखे बंद करके पालन नहीं करना चाहिए। इंफेक्शन के नाज़ुक माहौल के बीच समझदारी का परिचय देते हुए खुद और दूसरों को सुरक्षित रखना चाहिए। चंद लोगों की लापरवाही पूरे समुदाय (community) को बदनाम करती है।