नई दिल्ली (प्र.सं.): देशभर में तबलीगी ज़मात का मरकज़ बहस का मुद्दा बना हुआ है। काफी हद तक सोशल मीडिया पर इसे मजहबी रंग दे दिया गया है। हालात इस कदर नाजुक हो गए कि, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित दोभल को आगे आना पड़ा। फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय, लोकल इंटेलिजेंस यूनिट खुफिया विभाग मामले की जांच पड़ताल के लिए काफी सक्रिय हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से मरकज़ में शामिल लोगों की धरपकड़ की जा रही है, ताकि उनके स्वास्थ्य की जांच हो सके। साथ ही संक्रमित पाये जाने वाले लोगों को क्वारंटाइन किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि जमात के कारण संक्रमण के मामलों में काफी तेजी आई है। उत्तर प्रदेश में 437 इंफेक्शन के नए मामले दर्ज किए गए हैं। यूपी प्रशासन ने 39 विदेशी जमातियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। प्रशासन की पहल पर निजामुद्दीन इलाके में सैनिटाइजेशन की बड़ी मुहिम शुरू हो चुकी है।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी इतने बड़े पैमाने लोगों का जमावड़ा इकट्ठा होने को लेकर दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया। दिल्ली पुलिस पूरे मामले की जांच फिदायीन एंगल से कर रही है। आयोजित कार्यक्रम कहीं किसी सोची समझी साजिश का हिस्सा तो नहीं है? अगर साजिश है तो इसके पीछे किसका हाथ है? दिल्ली पुलिस अपनी जांच को इन्हीं आधारों पर आगे बढ़ा रही है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी विदेशी जमातियों के पासपोर्ट जब्त करने शुरू कर दिए हैं। खतरे को भांपते हुए तबलीगी ज़मातियों के संपर्क में आए 7,688 लोगों की पहचान कर क्वारंटाइन कर दिया गया है। मरकज़ के कारण 9000 लोगों पर इंफेक्शन का खतरा बना हुआ है। तबलीगी ज़मात के मरकज़ प्रमुख (अमीर) मौलाना साद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। मौलाना की ओर से एक वीडियो संदेश सामने आया है, जिसमें वो दावा कर रहे हैं कि, संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच उन्होंने खुद को क्वारंटाइन किया है।