एजेंसियां/न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): तालिबान (Taliban) ने बीते सोमवार को अफगानिस्तान के आखिरी हिस्से में जीत का दावा किया, जो उनकी पकड़ से बाहर था। तालिबान ने ऐलान किया कि पंजशीर घाटी पर कब्जा करने से अफगानिस्तान पर उनका कब़्जा पूरा हो चुका है। और वो जल्द ही एक नयी सरकार की घोषणा करेंगे।
हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में देखा गया है कि तालिबानी पंजशीर के प्रांतीय गवर्नर (Provincial Governor) के ऑफिस के गेट के सामने खड़े हैं। ये तालिबानी आंतकी पंजशीरी नेता अहमद मसूद (Ahmed Masood) की कमान वाले नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान (National Resistance Front of Afghanistan – NRFA) के साथ कई दिनों से लड़े रहे थे।
तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद (Taliban spokesman Zabihullah Mujahid) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, “पंजशीर जो फरार दुश्मन (सालेह मोहम्मद) का आखिरी ठिकाना था, उस पर कब़्जा कर लिया गया है।”
हालांकि मसूद अभी बागी रूख़ अख्तियार किये हुए है और उन्होनें कहा कि नियमित अफगान सेना के लोगों के साथ-साथ स्थानीय मिलिशिया लड़ाके (Militia Fighters) अभी भी उनके समर्थन में तालिबान को कड़ी चुनौती दे रहे है।
उन्होंने ट्विटर पर कहा कि, "हम पंजशीर में हैं और हमारा विरोध जारी रहेगा।" उसने ये भी कहा कि वो महफूज़ है, लेकिन अपने ठिकाने के बारे में उन्होनें कोई जानकारी नहीं दी। एनआरएफए के विदेशी संबंधों के प्रमुख अली मैसम नाज़ारी ने फेसबुक पर कहा कि: "एनआरएफ फोर्स लड़ाई जारी रखने के लिये घाटी में सभी रणनीतिक ठिकाने (Strategic Locations) पर मौजूद हैं।"
काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी लंबे समय से तालिबानी विरोध का केन्द्र रही है। इस इलाके में 1980 के दशक में सोवियत सैनिकों और 1990 के दशक में पिछले शासन के दौरान तालिबान को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। ये नॉर्दर्न एलायंस (Northern Alliance) के लड़ाकों का गढ़ है। जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका पर 11 सितंबर के हमलों के बाद 2001 में अमेरिकी हवाई हमले की मदद से तालिबान को घुटने टेकने के लिये मजबूर कर दिया था।
तालिबान ने घाटी के लोगों जो कि मुख्य रूप से पश्तून (Pashtun) तालिबान से जातीय रूप से अलग हैं, उन्हें आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई "भेदभावपूर्ण काम" नहीं होगा। मुजाहिद ने कहा कि, "वो हमारे भाई हैं और एक संयुक्त उद्देश्य और देश के कल्याण के लिये हम मिलकर काम करेंगे।"
तालिबान ने बार-बार अफगानों और विदेशों को आश्वस्त करने की कोशिश की है कि वे सत्ता में आने पर अपना पुराना रवैया नहीं लागू करेगें। इससे पहले तालिबान ने अफगानिस्तान में अपने बीते कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक दंड देने और महिलाओं की आज़ादी पर कड़े प्रतिबंध लगाने जैसे कड़े कानून लागू किये थे।
काबुल में घुसने के तीन हफ़्ते से ज़्यादा का समय बीतने के बाद तालिबान ने अभी सरकार की घोषणा नहीं की है और उन सामाजिक प्रतिबंधों के बारे में विवरण नहीं जारी किया है जिन्हें वो अब लागू करेंगे। ये पूछे जाने पर कि क्या संयुक्त राज्य अमेरिका तालिबान को मान्यता देगा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने सोमवार देर रात व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा: "ये एक लंबा रास्ता है, जिसे फिलहाल तय नहीं किया गया है।"
अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहरों - काबुल, कंधार और हेरात में विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और छात्रों ने रॉयटर्स को बताया कि छात्राओं को अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ाया जाता है या कैंपस के कुछ हिस्सों तक उन्हें सीमित रखा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अधिकारी मुताबिक अफगानिस्तान के भीतर सैकड़ों चिकित्सा सुविधाएं बंद हो चुकी है। जिससे बीमारी और गंभीर संक्रमण का खतरा मंडराता दिख रहा है। अफगानिस्तान में ज़्यादातर स्वास्थ्य सेवायें पश्चिमी देशों द्वारा प्रायोजित होती थी।
डब्ल्यूएचओ 500 स्वास्थ्य केंद्र को दवा आपूर्ति, मेडिकल उपकरण और वित्तपोषण प्रदान करके इस खाई को पाटने की कोशिश कर रहे है। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के क्षेत्रीय आपातकालीन निदेशक रिक ब्रेनन ने रायटर को बताया कि वो चिकित्सा प्रसव के लिए कतर के साथ संपर्क कर रहे है।
पिछले हफ्तों के दौरान अमेरिकी सैनिकों के काबुल छोड़ने से पहले अमेरिकी नेतृत्व वाली विदेशी सेनाओं ने लगभग 124,000 विदेशियों और जोखिम वाले अफगानों को निकाला लेकिन तालिबान के प्रतिशोध से डरे हुए हजारों अफगान पीछे रह गये।
लोगों से अफगानिस्तान से बाहर निकालने वाले एक शख़्स ने अमेरिकी विदेश विभाग पर देरी का आरोप लगाते हुए बताया कि अमेरिकियों समेत लगभग 1,000 लोग उत्तरी अफगानिस्तान में चार्टर उड़ानों के लिये मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने बीते सोमवार (6 सितंबर 2021) को कतर के शासक अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से मुलाकात की। वाशिंगटन तालिबान शासन का जवाब देने के लिये सहयोगियों के बीच आम सहमति बनाना चाहता है।
कतर और अमेरिका के बीच हुई बैठक अफगानिस्तान में सुरक्षा बढ़ाने के प्रयासों पर केंद्रित थी। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक बयान में कहा कि ब्लिंकन और ऑस्टिन ने अफगानिस्तान से लोगों के निकालने के प्रयास में कतर के "असाधारण समर्थन" के लिये अल-थानी को धन्यवाद दिया।
विदेश विभाग ने कहा कि ब्लिंकन ने सोमवार को कुवैत के विदेश मंत्री शेख अहमद नासिर अल-मोहम्मद अल-सबा से भी बात की और कुवैती प्रशासन मदद के लिये उन्हें धन्यवाद दिया।
पश्चिमी ताकतों का कहना है कि वे तालिबान के साथ जुड़ने के साथ साथ सूखे और युद्ध से प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता भेजने के लिये तैयार हैं। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के मुताबिक अफगानिस्तान में 5.5 मिलियन आबादी आंतरिक रूप से विस्थापित लोग हैं, जिनमें 2021 में 550,000 से ज़्यादा नये विस्थापित शामिल हैं। तालिबानी सरकार की औपचारिक मान्यता मानवाधिकारों की रक्षा की कार्रवाई पर निर्भर करेगी, न कि केवल वादों पर।