एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान (Taliban controlled Afghanistan) छोड़ने के अफगान नागरिकों के अनुरोधों को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को आवेदनों को फास्ट ट्रैक करने के लिए एक नई वीजा श्रेणी “ई-आपातकालीन एक्स-विविध वीजा” का ऐलान किया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्विट कर लिखा कि, गृह मंत्रालय ने अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर वीजा प्रावधानों की समीक्षा की है। भारत में प्रवेश के लिए वीजा आवेदनों को फास्ट ट्रैक करने के लिए” ई-आपातकालीन एक्स-विविध वीजा” नामक इलेक्ट्रॉनिक वीजा की एक नयी श्रेणी शुरू की गयी है।”
भारत सरकार का ये कदम सोमवार को काबुल हवाईअड्डे पर हताशा भरे दृश्यों के बाद आया है, जहां हजारों लोग अफगानिस्तान से भागने की कोशिश कर रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) पर बीते सोमवार (16 अगस्त 2021) को अफरा-तफरी की वजह से पांच लोगों की मौत हो गयी। वायरल वीडियो में कई अफगानियों को अमेरिकी सैन्य विमान (American Military Aircraft) के पंखों से चिपके हुए देखा गया, जो आंतक से घिरे अफगानिस्तान को छोड़ने के लिये बेताब दिख रहे थे। इसी जद्दोजहद में दो लोग विमान से गिर गये और उनकी मौत हो गयी।
केंद्र सरकार ने आज (17 अगस्त 2021) कहा कि "अफगानिस्तान छोड़ने की इच्छा रखने वालों को भारत सरकार प्रत्यावर्तन की सुविधा प्रदान करेगी" केंद्र सरकार ने कहा कि वे "अफगान सिख (Afghan Sikh) और हिंदू समुदायों के साथ लगातार संपर्क में हैं।" विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि "सरकार भारतीय नागरिकों और अफगानिस्तान में हमारे हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सभी कदम उठायेगी।"
इससे पहले आज एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खब़र सामने आयी कि भारत ने काबुल में अपने राजदूत और दूतावास (Ambassadors And Embassies) के कर्मचारियों को निकाल लिया है और वे एक खास वायु सेना की फ्लाइट से घर वापसी कर रहे हैं।
ये घटनाक्रम बीते रविवार को सामने आया जब अफगानिस्तान ने आखिरी प्रांत राजधानी काबुल पर कब़्जा कर लिया। तालिबान द्वारा तेजी से आगे बढ़ने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने ऐलान किया कि 20 साल के युद्ध के बाद सभी अमेरिकी सैनिकों को 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से हटा लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में 20 साल के लिये सैनिकों की तैनाती की भारी कीमत चुकानी पड़ी है। जो कि यूएस $ 1 ट्रिलियन डॉलर से कहीं ज़्यादा है। जो बाइडेन ने बीते सोमवार को कहा कि उन्हें अपने फैसले पर किसी तरह का कोई पछतावा नहीं है।