न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): तालिबान (Taliban) ने बीते शनिवार (28 अगस्त 2021) को कहा कि वे एक नया कैबिनेट तैयार कर रहे थे क्योंकि अमेरिका जल्द ही अफगानिस्तान से निकले के करीब है, ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि दो सप्ताह पहले काबुल में कब़्जा करने के बाद तेज रफ़्तार से आयी मौद्रिक गिरावट (Monetary Fall) और आर्थिक उथल-पुथल कम हो जायेगी।
तालिबानी मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने हाल ही में अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया एजेंसी रायटर्स (International Media Agency Reuters) से कहा कि- राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी सेना ने अमेरिकी नागरिकों और कमजोर अफगानों को निकालने के लिये 31 अगस्त की समय सीमा निर्धारित की है। जिसके बाद उनका अभियान लगभग खत्म होने की ओर होगा।
मुजाहिद ने गुरुवार को हवाई अड्डे के पास हुए आत्मघाती हमले के बाद इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के खिलाफ रात भर हुए अमेरिकी ड्रोन हमले (US drone strike) की निंदा की और इसे “अफगान इलाके पर सीधा हमला” बताया। लेकिन उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी मुल्कों से उनकी वापसी के बाद राजनयिक संबंध (Diplomatic Relations) बनाये रखने की अपील की।
नए मंत्रिमंडल के गठन का सही वक़्त फिलहाल साफ नहीं है। रॉयटर्स के मुताबिक आने वाले दिनों में बड़े तालिबानी सिपहसालार इस बात का खुला ऐलान कर सकते है। माना जा रहा है कि आगामी एक या दो हफ़्तों में नए मंत्रिमंडल के गठन को मंजूरी दे दी जायेगी। ये पूछे जाने पर कि क्या किसी महिला को नये मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, उन्होंने कहा कि ये आलाकमान को तय करना होगा और वो ये अनुमान नहीं लगा सकते कि उनका फैसला क्या होगा।
गिरती मुद्रा, गंभीर आर्थिक संकट और बढ़ती खाद्य कीमतों के कारण काबुल में निराशा बढ़ रही है, काबुल पर तालिबान के कब़्जे के बाद से बैकिंग व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। हाल ही में तालिबान ने अपने बयान में कहा कि बैंकों को 200 डॉलर या 20,000 अफगानी मुद्रा प्रति सप्ताह भुगतान के हिसाब से फिर से खोलने का आदेश दिया गया है।
मुजाहिद ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय बैंक समेत प्रमुख संस्थानों को चलाने के लिये तालिबान द्वारा अधिकारियों को पहले ही नियुक्त किया जा चुका है।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान एक मानवीय तबाही का सामना कर रहा है, देश का बड़ा हिस्सा अत्यधिक सूखे की मार झेल रहा है। चार दशकों के युद्ध के बाद बिखरी अर्थव्यवस्था को पश्चिमी दूतावासों के हटने के बाद मिलने वाली विदेशी सहायता में अरबों डॉलर के नुकसान झेलना पड़ रहा है।
मुजाहिद ने कहा कि एक बार नई सरकार बनने के बाद सामने आ रही आर्थिक समस्याओं को कम किया जायेगा। उन्होंने कहा कि, "विदेशी मुद्रा के मुकाबले अफगानी मुद्रा का गिरना अस्थायी है। ये सब अचानक बदली स्थिति के कारण हुआ है। सरकारी प्रणाली जब तो काम करना शुरू कर देगी तो सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो जायेगा।”