एजेंसियां/न्यूज डेस्क (देवव्रत उपाध्याय): Taliban: बीते 11 सितंबर को भारत के लिये रवाना होने वाले अफगान सिखों (Afghan Sikhs) के एक समूह को श्री गुरू ग्रंथ साहिब को अपने साथ ले जाने से रोक दिया गया क्योंकि धार्मिक ग्रंथों को अफगानिस्तान (Afghanistan) की विरासत का हिस्सा बताया गया। बता दे कि 1990 के दशक में अफगान सिखों ने अपने देश से भागना शुरू कर दिया था और ये अनुमान लगाया जाता है कि 100 से ज़्यादा सिखों का समूह अफगानिस्तान छोड़ चुका है, अब 60 सिखों को एक बड़ा समूह जो कि श्री गुरू ग्रंथ साहिब (Sri Guru Granth Sahib) के बिना अपना देश छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
इस कदम की अमृतसर (Amritsar) में सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी (Sikh Gurdwara Management Committee President Harjinder Singh Dhami) ने बीते बुधवार (14 सितम्बर 2022) को कड़ी निंदा की क्योंकि उन्होंने तालिबान सरकार के फैसले को “सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप” कहा। इससे पहले तालिबान शासन के सत्ता में आने के बाद भारत द्वारा किये गये आपातकालीन निकासी के दौरान अफगान सिख पिछले साल दिसंबर में गुरू ग्रंथ साहिब साथ लाने में सक्षम थे। उस समय ऐसा कोई प्रतिबंधात्मक प्रोटोकॉल नहीं था क्योंकि नई व्यवस्था धीरे-धीरे स्थिर हो रही थी।
विकास ने यहां अफगान सिख समुदाय के सदस्यों के लिए बहुत चिंता पैदा की है। अफगानिस्तान में फंसे लोगों में से कई के परिवार ऐसे हैं जो पहले भारत आए थे, जबकि वे गुरुद्वारों की देखभाल के लिए वापस आ गए थे। भारत में अनुमानित 20,000 अफगान सिख हैं, जिनमें से ज्यादातर दिल्ली (Delhi) में हैं।
एसजीपीसी प्रमुख ने उभरते हालातों पर अपनी चिंता ज़ाहिर करने के लिये ट्विटर का सहारा लिया। धामी ने कहा कि, “अगर अफगान सरकार असल में सिखों की परवाह करती है तो उसे उनके जीवन, संपत्ति और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, ना कि गुरूद्वारे में हमला करके उन्हें परेशान करना चाहिये। अल्पसंख्यक अफगान सिखों पर अत्याचार करके उन्हें अपना देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।”
धामी ने आगे कहा कि, ‘ये चिंता का मामला है कि अगर सिख अफगानिस्तान में नहीं रहेंगे तो गुरूद्वारा साहिबों की देखभाल कौन करेगा?’ उन्होंने भारत सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय से मामले दखल देने और अफगानिस्तान में सिखों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। SGPC भारत सरकार और सामाजिक संगठन इंडियन वर्ल्ड फोरम (IWF) के कोर्डिनेशन से अफगान सिखों को भारत में आने की सुविधा और समर्थन देता रहा है।
मामले पर आईडब्ल्यूएफ के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक (Puneet Singh Chandok) ने कहा कि “अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की सामान्य परिषद के सदस्यों ने कहा है कि जब वो अधिकारियों के पास पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उनकी यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन वे श्री गुरू ग्रंथ साहिब को अपने साथ नहीं ले जा सकते। अफगानिस्तान में संस्कृति मंत्रालय इन्हें अपने देश की विरासत का हिस्सा मानता है।
चंडोक ने आगे कहा कि, “हम अफगान शासन के नेतृत्व से अफगान सिखों को भारत में धार्मिक ग्रंथ लाने की अनुमति देने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर (UN Charter) के अनुरूप धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता की सुविधा देने का आग्रह करते हैं।”