एजेंसियां/न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): तालिबानियों (Taliban) ने पूरे अफगानिस्तान में हमला तेज कर दिया इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका (US) ने इस्लामाबाद (Islamabad) से हिंसा को कम करने में सकारात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया। वाशिंगटन के मुताबिक अफगानिस्तान को गृहयुद्ध में देखना पाकिस्तान के हित में कतई नहीं होगा।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जेड तरार ने कहा कि अफगानिस्तान में संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है। हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान का भविष्य अफगानियों के लोगों के हाथों में हो। हम अफगानिस्तान को नहीं छोड़ रहे हैं, हम बेहतर भविष्य की दिशा में काम करेंगे लेकिन ये सैन्य समाधान (Military Solution) नहीं होगा। अफगानिस्तान को हमारी कूटनीतिक सहायता (Diplomatic Support) जारी रहेगी।
जब जेड तरार से ये पूछा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधान मंत्री इमरान खान के साथ टेलीफोन पर संपर्क क्यों नहीं किया, इस पर जेड तरार ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। अगर वाशिंगटन और इस्लामाबाद के समग्र संबंध को देखा जाये तो हमारे कई ऐसे काम है, जिससे हम लगातार एक दूसरे के सम्पर्क में रहते है। वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी लगातार अपने अमेरिकी समकक्षों (US counterparts) से बात कर रहे हैं।
इसी महीने की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ फोन पर बात की और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया (Afghanistan Peace Process) पर निरंतर यू.एस.-पाकिस्तान सहयोग के महत्व पर भी चर्चा की। राष्ट्रपति अशरफ गनी के अगुवाई वाली अफगान सरकार पर तालिबान ने पाकिस्तान की मदद से हमले करने तेज कर दिये है। इस तथ्य का इस्लामाबाद लगातार जोरदार खंडन करता रहा है।
गनी ने आतंकवादी संगठनों के समूहों के साथ संबंध नहीं तोड़ने के लिये पाकिस्तान को लताड़ा था और कहा था कि खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक पिछले महीने 10,000 से ज़्यादा 'जिहादी' लड़ाके अफगानिस्तान में दाखिल हुए। उन्होंने आगे कहा कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार तालिबान को शांति वार्ता में "गंभीरता से बातचीत" करने के लिये मनाने में नाकाम रही है।
पिछले हफ्ते अफगान विदेश मंत्रालय ने कहा कि तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में अपने हिंसक अभियान को तेज कर दिया है और उनके सैन्य हमले को पाकिस्तानी कुख्यात जासूसी एजेंसी आईएसआई द्वारा खुला सहयोग दिया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना कथित तौर पर अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांतों में प्रशिक्षण शिविर स्थापित करने और भर्ती करने में तालिबान की लगातार मदद कर रही है।
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने कहा है कि उनका देश तालिबान की कार्रवाइयों के लिए जिम्मेदार नहीं है। तालिबान जो कर रहा है या नहीं कर रहा है उसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है। हम तालिबान की कार्रवाईयों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया कि विभिन्न देशों के आतंकवादी और आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में सक्रिय हैं।
यूएन एनालिटिकल सपोर्ट एंड सेंक्शंस मॉनिटरिंग टीम की 28वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह टीटीपी ने तालिबान के साथ संबंध स्थापित किये है, क्योंकि उसके करीब 6,000 आतंकवादी अफगान सीमा पर हैं।