न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): मुनुगोड़े उपचुनाव (Munugode By-Election) के लिये भाजपा (BJP) दूसरी पॉलिटिकल पार्टियों के मुकाबले ज़्यादा संगठित दिखाई दे रही है, लेकिन शीर्ष नेताओं के बीच लगातार मनमुटाव, नये लोगों और पुराने लोगों के बीच तकरार केंद्रीय नेतृत्व के लिये सिरदर्द का मसला बनी हुई है।
फायरब्रांड नेता विजयशांति (Vijayashanti) का राज्य नेतृत्व के खिलाफ खुलकर सामने आना पार्टी के भीतर चल रही अंदरूनी कलह का एक छोटा सा हिस्सा है। जब गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने शहर का दौरा किया तो नेताओं के एक गुट ने उनसे शिकायत की कि पार्टी प्रमुख बंदी संजय (Bandi Sanjay) के नेतृत्व पर आरोप लगाने के लिये उन्हें उनका ‘श्रेय’ नहीं मिल रहा है।
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कामकाज पर नाराजगी जताने से लेकर खुलकर अपनी चिंता जाहिर करने तक भगवा पार्टी के नेता अपनी भावनाओं को हवा देने में कांग्रेस नेताओं के नक्शेकदम पर चलते नजर आ रहे हैं। वरिष्ठ नेता इस बारे में सावधान हैं और दावा कर रहे है कि पार्टी में ओहदे की बुनावट काफी सख़्त जिसे देखते हुए आखिर में पार्टी की हार होगी। मामले पर नाम ना बताने की शर्त पर सूबे के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि, “हाल के दिनों में लोकप्रियता हासिल करने और उपचुनाव जीतने के बाद सभी का मानना है कि पार्टी के पास टीआरएस (TRS) से मुकाबला करने के लिये पर्याप्त साधन हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हम में से कई लोगों का मानना है कि देर-सबेर पार्टी राज्य में सत्ता संभाल सकती है। लेकिन शीर्ष पर लगातार झगड़े जमीनी कार्यकर्ताओं को सही संकेत नहीं भेज रहे हैं।”
संजय खेमे के विधायक एटाला राजेंदर, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी (Union Minister G Kishan Reddy) और संसदीय बोर्ड के नवनियुक्त सदस्य के.लक्ष्मण (K.Laxman) के खेमे में टकराहट और बेचैनी है। हर खेमे के नेता एक-दूसरे के खिलाफ दिल्ली के आकाओं से लगातार शिकायत कर रहे हैं।