न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास 100,000 से ज़्यादा सैनिकों को तैनात किया है, जिससे इलाके में सीधी लड़ाई (Ukraine Russia Conflict) की आशंकायें बढ़ गयी है। रूस ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि वो हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों (NATO allies) का मानना है कि रूस जंग की ओर बढ़ने की तैयारी कर रहा है।
इस बीच यूक्रेन के अधिकारियों ने तनाव बढ़ने पर हालात को शांत रखने की कोशिश की है। हालांकि पूर्वी यूक्रेन (Eastern Ukraine) में सैनिक और नागरिक सांस रोककर इंतजार कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में उनका क्या होगा। उनका मानना है कि उनके किस्मत का फैसला राजधानियों में राजनेता कर रहे हैं।
साल 2014 से इस युद्धग्रस्त इलाके में रूस समर्थक अलगाववादी लड़ाकों के साथ लड़ाई चल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि रूस ने इस इलाके में हजारों सैनिकों को इकट्ठा कर रहा है और ये द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा आक्रमण हो सकता है।
अब एक सवाल उठता है कि अगर दोनों देशों के बीच जंग होती है तो भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा। जानकारों का मानना है कि युद्ध की स्थिति में रूस को सहयोगियों की जरूरत होगी। फिलहाल क्रेमलिन (Kremlin) चीन को अपना बड़ा सहयोगी माना है, खासकर प्रतिबंधों के बाद। चीन इस बात का भी समर्थन कर रहा है कि यूक्रेन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization) का सदस्य नहीं बनना चाहिये।
ऐसे में अगर पश्चिमी देशों और अमेरिका की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो चीन इसकी भरपाई कर सकता है। इससे चीन और रूस की नजदीकियां और बढ़ेंगी, जिसका भारत और रूस की दोस्ती पर बुरा असर पड़ सकता है। भारत की सैन्य आपूर्ति (Military Supplies) का लगभग 60 फीसदी रूस से आता है, और ये एक बहुत ही अहम पहलू है।
भारत और रूस ने S400 मिसाइल सिस्टम और AK-203 असॉल्ट राइफल (Assault Rifle) समेत कई अहम रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन पहले से आमने-सामने हैं। ऐसे में भारत रूस के साथ संबंध खराब करने का कोई जोखिम नहीं उठा सकता।
अमेरिका भी भारत का अहम भागीदार है। अमेरिका ने हमेशा कई अहम मौकों और मुद्दों पर भारत का साथ दिया है। ऐसे में भारत न तो रूस से और न ही अमेरिका से सौदेबाजी कर सकता है। इसलिए ये स्थिति भारत के लिये भी कम गंभीर नहीं है।