एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): तालिबान (Taliban) के संस्थापक मुल्ला उमर (Mullah Omar) की मौत से सालों तक तालिबान ने छुपाये रखा। अब आखिरकर ये पता चला कि मुल्ला उमर की मौत साल 2013 में ही हो गयी थी। न सिर्फ उसकी मौत का साल, बल्कि तालिबान के संस्थापक की क्रब को भी कई सालों तक छिपाये रखा गया। इस बात को जानने वाले सिर्फ करीबी दोस्त और परिवार है। अब तालिबान ने ये खुलासा करने का फैसला किया है कि उमर को कहां दफनाया गया है।
समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने कहा कि रविवार को मुल्ला उमर के सम्मान में एक छोटा सा समारोह आयोजित किया गया था, जो जाबुल प्रांत (Jabul Province) के सूरी जिले में ओमारजो (Omarjo in Suri District) के पास दिन में उनकी कब्र पर आयोजित किया गया था।
समाचार एजेंसी के हवाले से मुजाहिद ने कहा कि, “चूंकि बहुत सारे दुश्मन आसपास थे और देश पर कब्जा कर लिया गया था, मकबरे को नुकसान से बचने के लिये इसे गुप्त रखा गया।” उन्होंने आगे कहा कि मुल्ला उमर की क्रब के बारे में सिर्फ करीबी लोगों और परिवार के सदस्यों को ही पता था।
मुल्ला उमर के मकबरे की तस्वीरें जारी की गयी जिससे पता चला कि ये मोटे हरे धातु के पिंजरे से ढका हुआ है। क्रब छोटी सफेद ईंट की दीवार की बजरी से घिरी हुई है, जबकि तस्वीर में तालिबान के कई सदस्य कब्र के पास इकट्ठा हुए हैं और उनके सम्मान दुआ कर रहे है।
तालिबान की स्थापना मुल्ला उमर ने साल 1993 में कट्टर इस्लामी रवायतों (Radical Islamic Traditions) के तहत की थी, जिसकी अक्सर पश्चिमी देशों में आलोचना की जाती थी। इन कट्टर में महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से रोकना और कठोर सार्वजनिक दंड देना शामिल है- जिसमें फांसी देना और कोड़े लगाना आम बात है।
मुल्ला उमर की मौत 2013 में 55 साल की उम्र में हुई, तालिबान ने सालों बाद ये खुलासा किया। तालिबान ने आखिरकर अगस्त 2021 में अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा कर लिया, जिससे अमेरिकी सेना (US Army) को 20 साल के कब्जे के बाद देश से बाहर करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके अलावा तालिबान ने मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने और खुद के अधिकारियों को पद पर नियुक्त करके अपने कब्ज़े को कानूनी बना दिया।