एजेंसियां/न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): लद्दाख के पूर्वी मोर्च पर पैंगोग त्से झील से फिंगर 8 से पीछे हटने के बाद सिकिम्म के मोर्चे पर भी चीन (China) के तेवर ढ़ीले पड़ते दिख रहे है। भारतीय सेना की आक्रामक रणनीति के आगे घुटने टेकते हुए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सिक्किम के ना कुला मोर्चे पर कम पेट्रोलिंग करती दिखी। कंचनजंगा की चोटी के दक्षिण पश्चिमी इलाके में बना ये मोर्चा चौदह हज़ार फीट से ज़्यादा की ऊंचाई वाला दर्रा है। जहां बीते साल मई महीने से ही दोनों ओर की सेनाओं के बीच सैन्य तनाव के हालात बने हुए थे।
इसी मोर्च पर बीते 21 जनवरी को दोनों और के सैनिकों के बीच तीखी झड़प भी देखने को मिली थी। जिसकी वज़ह से दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हुए थे। कई मौकों पर केंद्र सरकार इस मसले पर प्रतिक्रिया देने से बचते रही। पैगोंग त्से पर इन्फेंट्री, ऑर्म्ड कोर्प्स और आर्टलरी के डिसएंगेजमेंट (Disengagement of Infantry, Armored Corps and Artillery) के बाद ड्रैगन की ओर से दिए उच्च स्तरीय आश्वासन के कारण इस इलाके में चीनी सेना ने नए सिरे से रणनीति पर काम किया। जिससे इस मोर्चे पेट्रोलिंग फ्रीक्वेंसी काफी कम कर दी गई है। गौरतलब है कि पीएलए को दिशा निर्देश देने का अधिकार चीनी केंद्रीय सैन्य आयोग के पास है। जिसकी कमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग संभालते हैं और वहीं चीनी सशस्त्र बलों को कमांडर-इन-चीफ़ भी है।
खुफिया सूत्रों की जानकारी के मुताबिक ड्रैगन काफी रफ्तार से पैंगोग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर 8 से पीछे के ओर मैदानी इलाकों पर चीनी इन्फैन्ट्री की पूर्ववर्ती तैनाती (Previous deployment) कर दी गई है। साथ ही झील के दक्षिणी किनारे पर तैनात 220 चीनी टैंकों को डिसएंगेज कर वापस बुला लिया गया है। चीनी सेना को ये फरमान उच्चस्तरीय कमान की ओर से जारी किए गये। इससे सीधे तौर पर समझा जा सकता है कि, बीजिंग पूरी तरह से सैनिकों की वापसी का मन बना चुका है। चीन झील के दक्षिणी किनारों पर तैनात सैनिकों को काफी तेजी से कैलाश रेंज की ओर वापस भेज रहा है। उसकी इस कवायद में काफी रफ्तार देखी जा रही है।
भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों ने नकु ला में हुई हिंसक झड़प का हवाला देते हुए हैं। समकक्ष चीनी सैन्य अधिकारियों के सामने गंभीर अविश्वास का सवाल उठाया था। जिसके बाद बीती 10 फरवरी को डिसएंगेजमेंट का समझौता हुआ। ड्रैगन की मौजूदा कवायद भारतीय सेना के साथ वास्तविक असहमति की प्रतिबद्धता था। बटालियन कमांडर की अगुवाई में ना कुला मोर्चे पर एक बैठक हुई। जिसमें ड्रैगन की ओर से किसी भी तरह के बदलाव करने के हालातों को सिरे से नकारा गया।
बीते 6 सालों से नकु ला के मोर्चे पर चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करते हुए इस इलाके में आने की कोशिश करने लगे। नतीज़न दोनों मुल्कों के आर्मी के बीच तीखा आमना-सामना हुआ वास्तविक तौर पर चाइनीस बेस (Chinese base) रिज़ लाइन के काफी पीछे है, लेकिन मौजूदा हालातों में चीनी सैनिक लगातार नकु ला को पार करने की कोशिश करते रहे है। जिसके तहत पीएलए ने स्थानीय भारतीय चरवाहों द्वारा बनाई गई दीवार तक पहुंचने का प्रयास कई बार किया।