एंटरटेनमेंट डेस्क (स्तुति महाजन): हम सभी महान गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के शानदार म्यूज़िक करियर, उनके प्रोफेशनलिज़्म, गायिकी के प्रति समर्पण के बारे में जानते हैं। लेकिन बहुत से लोग उनके निजी जीवन के बारे में नहीं जानते हैं और उन्होंने अपनी बाकी की ज़िन्दगी के लिये अविवाहित रहने का विकल्प क्यों चुना।
इससे पहले कि हम उनके जीवन के इस पहलू पर चर्चा करें, ये जिक्र करना काफी अहम है कि लता मंगेशकर क्रिकेट फैन थीं। और यही उनके लिये राजस्थान के तेज-मध्यम गेंदबाज राज सिंह डूंगरपुर (Fast-medium bowler Raj Singh Dungarpur) के करीब आने की बड़ी वज़ह था, जो बाद में भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर बने।
राज सिंह डूंगरपुर, डूंगरपुर के शासक महारावल लक्ष्मण सिंहजी (Maharawal Laxman Singhji) के सबसे छोटे बेटे थे। लता मंगेशकर को क्रिकेट पसंद था और राज सिंह डूंगरपुर को संगीत पसंद था और इसने दोनों को एक-दूसरे के करीब ला दिया। लता मंगेशकर जिनका जन्म 1929 में इंदौर में हुआ था, वो मराठी संगीतकार और थिएटर आर्टिस्ट पंडित दीनानाथ मंगेशकर (Theater Artist Pandit Deenanath Mangeshkar) की सबसे बड़ी बेटी थीं।
बीकानेर की राजकुमारी राजश्री, जो राज सिंह डूंगरपुर की भतीजी हैं, ने अपनी आत्मकथा ‘पैलेस ऑफ क्लाउड्स-ए मेमॉयर’ में अपने मामा और लता मंगेशकर के बीच रिलेशनशिप के बारे में लिखा है। अपने संस्मरण में वो लिखती हैं कि दोनों की मुलाकात हृदयनाथ मंगेशकर (Hridaynath Mangeshkar) के जरिये हुई, जो लता मंगेशकर के छोटे भाई हैं।
डूंगरपुर के शाही परिवार के राजकुमार राज सिंह 1959 में कानून की पढ़ाई के लिये मुंबई गए थे। वो क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे। लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ भी क्रिकेट खेलते थे। इस वजह से हृदयनाथ और राज सिंह दोस्त बन गये।
राज सिंह अक्सर हृदयनाथ मंगेशकर के घर जाया करते थे। मंगेशकर परिवार के मिलने के दौरान उनकी पहली मुलाकात वहां लता मंगेशकर से हुई थी। आपसी बातचीत के बाद राज सिंह और लता मंगेशकर दोस्त बन गये। किताब में लिखा है कि उनकी शुरुआती दोस्ती बाद में प्यार में तब्दील हो गयी।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राज सिंह डूंगरपुर लौट आये और अपने परिवार के साथ लता मंगेशकर से शादी करने के अपने इरादों के बारे में बताया। राजश्री लिखती हैं कि शाही परिवार नहीं चाहता था कि राज सिंह किसी गैर शाही परिवार में शादी करे। राज सिंह डूंगरपुर को पारिवारिक दबावों के आगे झुकना पड़ा और आखिरकार शादी की योजना आगे नहीं बढ़ पायी।
हालांकि उन्होंने जीवन भर अकेले रहकर अपनी प्रेम कहानी को अमर बना दिया। राज श्री की आत्मकथा में ये भी जिक्र है कि राज सिंह डूंगरपुर लता मंगेशकर को प्यार से ‘मिठू’ कहकर बुलाते थे। ऐसा कहा जाता है कि साल 2009 में राज सिंह की मृत्यु पर लता मंगेशकर चुपके से उनके अंतिम ‘दर्शन’ के लिए डूंगरपुर (Dungarpur) आयी थीं।