न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को भारी जनादेश मिला। जिसके बाद अब ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) तीसरी बार सूबे की कमान संभालने जा रही है। इस बात की तस्दीक शपथ ग्रहण की तारीखों के ऐलान के साथ हो गयी। नंदीग्राम में मिली हार के बावजूद उन्हें विधायक दल ने सर्वसम्मति से अपना नेता चुना। अब वो बतौर तीसरी बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद के शपथ 5 मई को लेगी। खबर लिखे जाने के दौरान ममता बनर्जी राजभवन में राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) से मुलाकात कर सरकार गठन का दावा पेश कर रही थी।
सूत्रों के मुताबिक 5 मई को रखा जाने वाला शपथ ग्रहण और पद गोपनीयता का कार्यक्रम बेहद सादे अंदाज में मनाया जायेगा। इसके ठीक अगले दिन 6 मई को सूबे के अन्य मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। नंदीग्राम में हारने के बाद ममता बनर्जी ने मतगणना के दौरान घालमेल करने का आरोप लगाया था। जिसकी लिखित शिकायत (Written complaint) चुनाव आयोग को दर्ज करवाते हुए उन्होनें पुनर्मतदान की मांग की थी। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक विधानसभा सीट हारने के बावजूद वो मुख्यमंत्री बन सकती है, लेकिन उन्हें 6 महीने के भीतर विधान सभा की सदस्यता लेनी होगी। कई राजनीतिक जानकार नंदीग्राम हारने के बाद ये अटकलें लगा रहे थे कि ममता अब प्रदेश की कमान अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को सौंप सकती है, लेकिन शपथ ग्रहण की तारीखों के ऐलान के साथ उन्होंने इन अटकलों और अफवाहों को विराम दे दिया।
प्रदेश की राजनीति में भाजपा जैसी दिग्गज पार्टी के सामने 292 सीटों में से 213 सीटों पर शानदार जीत हासिल करते हुए ममता बनर्जी ने इतिहास रच दिया। दूसरी ओर धुआंधार प्रचार के बावजूद भाजपा 3 अंकों का आंकड़ा भी नहीं छू पायी। उनके खाते में सिर्फ 77 सीटें ही आयी। इस बीच कई आलोचकों को ये माखौल उड़ाने का मौका मिल गया कि, प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कई दिग्गज़ चेहरों के द्वारा किया गया चुनावी प्रचार बेकार चला गया। टीएमसी ने इस बार पिछली बार के मुकाबले बेहतरीन चुनाव लड़ा। पिछली बार टीएमसी के खाते में 211 सीटें आयी थी। दूसरी ओर भले ही भाजपा बंगाल में सत्ता हासिल ना कर पायी हो, लेकिन अब प्रदेश में बीजेपी मुख्य विपक्षी पार्टी बन गयी है। पिछली बार भाजपा के खाते में महज़ 3 सीटें हासिल हो पायी थी। प्रदेश की राजनीति से वाम और कांग्रेस पार्टी का पूरी तरह सफाया हो चुका है। दोनों का ही इन चुनावों में खाता नहीं खुल पाया।