न्यूज़ डेस्क (अज़ीम उस्मानी): सेहतमंद सोच ज़िन्दगी में कामयाबी और खुशी लाने की चाबी है। बदकिस्मती से कभी-कभी Positive Thinking कायम रखना काफी मुश्किल काम हो जाता है। दुनिया हम पर तकलीफों की बरसात करती है, ऐसे में Positive Thinking लड़खड़ाने लगती है। ज़िन्दगी के कई अहम मुकामों पर अलग-अलग तरह की मुश्किलों का सामना करना के लिए खुद को बुलन्द बनाये रखने के लिए काफी जद्दोज़हद करनी पड़ती है। ऐसे में हमारे दिये कुछ नुस्खें आपके काम आयेगें।
“मैं ऐसा क्यों हूँ”
आप इसे शायद ही महसूस करते होगें। लेकिन खुद में भरोसा ना होने के चलते आप ज़िन्दगी की बुलन्दियों को जी नहीं पायेगें। अगर ऐसा महसूस करते है कि, आप दूसरों से वक़्त हासिल करने के काबिल नहीं है तो, खुद में कारगर ढ़ंग से काम करने की बहादुरी पनप नहीं पायेगी। जीवन के लिए सेहतमंद मानसिकता का होना बेहद जरूरी है। जिस वक़्त आपके कदमों ने दुनिया में दस्तक दी, आपको दुनिया में कामयाबी, खुशी और प्यार सभी नियामतें मिली। आपकी शख़्सियत कई लोगों के लिए बेहद अहम है। आप बेजोड़ है, जब आप ऐसा सोचने लगते है तो अपने आसपास के लोगों को अनमोल नग़में के तौर पर देखने लगते है।
“ये मुमकिन नहीं है”
आप जो मंजिल हासिल करना चाहते है, उसे तय करिये। नहीं तो आपको नाउम्मीदियों का सामना करना पड़ेगा। और साथ ही आपकी काबिलियत और कुव्वत खोने के भी पूरे-पूरे आसार बन जायेगें। मुसीबतें सामने आयेगी लेकिन मुश्किलों के आगे घुटने टेकने की बजाय उससे जूझना होगा। थॉमस अल्वा एडिसन को बल्ब खोजने के लिए 10,000 बार नाकामियों का सामना करना पड़ा। आखिर में उन्होनें तकरीर दी कि, कैसे उन्हें बल्ब ना बनाने के 10,000 तरीकों के बारे में पता है। ये बात अपनी ज़हन की गहराइयों में उतार लीजिए कि, हर हार आपको मंजिल के करीब ले जायेगी। सेहतमंद नज़रिया वो जरिया बनता है जिसमें शख्स मुश्किलों में मौके तलाशने के काबिल बनता है।
“सब कुछ बुरा है”
ज़्यादातर लोग ये खोजते है कि, ज़िन्दगी में क्या गलत है। ऐसे में वो लोग वहीं चीज़ पाते है, जिनकी उन्हें तलाश है। तो ऐसे में क्यूं ना सेहतमंद नज़रिये का इस्तेमाल करके उन चीज़ों पर गौर किया जाये, जो ज़िन्दगी के Positive Aspect से जुड़ी हुई हो। अगर आपसे कोई तकलीफ़ या नाराज़गी ज़ाहिर करता है तो, उसे समझने की मुकम्मल कोशिशें करें। आखिर वो शख्स किन हालातों से निकलकर आ रहा है। वक़्त निकलकर पता करे कि, क्या वो किसी बुरे हालातों से घिर हुआ है या फिर उसे सेहत से जुड़ी मुश्किलात का सामना करना पड़ रहा है। इस नुस्खे का इस्तेमाल करके आप अपने ज़ज्बातों पर काबू पाने के साथ मौजूदा असहज़ स्थिति को बदल सकते है। इसके साथ ही वक़्त आपसी बेहतर समझ के मोड़ पर आकर खत्म होगा।
“क्या बुरा हो सकता है?”
डर इंसानी फितरत का मामूली हिस्सा है। लेकिन जब ये डर जरूरत से ज़्यादा ज़िन्दगी पर हावी होने लगे तो ये मामूली नहीं रह जाता। अपनी बेशकीमती ताकत ये सोचने में जाया ना करे कि “क्या हो रहा है?” सेहतमंद नज़रिया किसी को भी शको-शुबह वाले हालातों से छुटकारा दिलाने में खास़ी मदद करता है। उन हालातों के बारे में सोचना जो मुमकिन तौर पर मुकम्मल ही ना हुए हो, वक्त और इंसानी ताकत की बर्बादी है। झटके के साथ ज़िन्दगी में हैरानगी भरे मौके उड़न-छू हो सकते है। मौजूदा दौर में कदम रोकने की बज़ाय फैसले लेते वक़्त सावधानी बरतें। इसकी मदद से मुस्तकबिल में होने वाली मुश्किलात से कारगर ढंग से बचा जा सकता है।
“मेरे पास कोई विकल्प नहीं है”
किसी खास हालात में फंसने पर आमतौर पर ये होता है कि, इसका सीधा असर आपके कामकाज़ और तालुक्कात पर पड़ता है। माना कि ज़िन्दगी आपके हाथों में नहीं है, लेकिन आपके हाथों में आपके नज़रियात है। जब भी आप किन्हीं हालातों में फंस जाते है तो तुरन्त ही दूसरे रास्ते तलाशने शुरू कर देते है। ऐसे में आपके पास दो ही रास्ते बचते है, या तो आप मुश्किलात को सुलझाइये या फिर उसका रोना रोते रहिये। दिमागी तौर पर टूटने के हालातों में आप हमेशा ही टूटा हुआ महसूस करेगें। एक कारगर दिमागी हिकमत दोनों ही सोचों में बुनियादी फर्क कर सकती है।
“सेहतमंद नज़रिया बनाये रखे”
इस दुनिया में कोई भी मुकम्मल नहीं है। लेकिन अगर आप अपनी ताकत को पहचानने की बजाय, दिनभर अपनी कमजोरियों पर ही गौर करते रहेगें तो आप कहीं नहीं होंगे। आपका दिमाग खुद की बुनी बानगी पर ही यकीं करने लगता है। इसलिए जरूरत है दुनिया को देखने के लिए चश्मा को बदलने की। इस तरह खुशियों से आपका दामन भर जायेगा।
“गिरते है शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले”