न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): जोशीमठ (Joshimath) के हालातों के लिये जिम्मेदार माने जाने वाले धंसाव और ढलान पर बोझ को कम करने के लिये उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) ने दो होटलों को ध्वस्त करने के बाद जोशीमठ में एक रिहायशी कॉलोनी को ध्वस्त करने का फैसला किया, जिसे दोबारा नहीं बनाया जा सकता था या मरम्मत नहीं की जा सकती थी।
सरकार ने बीते सोमवार (16 जनवरी 2023) को जोशीमठ की जेपी आवासीय कॉलोनी (Jaypee Residential Colony) में इमारतों को गिराने का फैसला लिया। कॉलोनी में 30 से ज्यादा घर हैं, जिनमें से कईयों में बड़ी दरारें साफ देखी जा सकती है। ये दरारें लगातार बढ़ती जा रही है। टूट और दरार की जद में आने वाली कॉलोनी के साथ एक दरार वाली पुलिया, बैडमिंटन कोर्ट और स्विमिंग पूल भी ढ़हाया जा सकता है, इन सभी के हालातों भी काफी खराब है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) की ओर से मुख्य सचिव को आदेश दिया गया था कि जब तक बिल्कुल जरूरी न हो, किसी भी घर को न तोड़े और स्थानीय लोगों के साथ नियमित तौर पर बातचीत करें ताकि उनकी समस्याओं का तुरन्त समाधान खोजा जा सके। चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना (Chamoli District Magistrate Himanshu Khurana) की जिम्मेदारी सौंपी गयी है कि खतरनाक इमारतों और तबाही के कगार पर खड़े ढांचों को तुरन्त ढहा दिया जाये।
जोशीमठ के माउंट व्यू और मलारी इन होटलों (Mount View and Malari Inn Hotels) की तयशुदा प्रशासनिक तोड़-फोड़ की तर्ज पर ही जेपी आवासीय कॉलोनी को भी ढ़हा दिया जायेगा। इसके बारे में जानकारी देते हुए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Uttarakhand State Disaster Management Authority) के सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने हाल ही में कहा कि- “इस बार हम जोशीमठ के दूसरी तरफ हाथी पर्वत की ओर गये और धंसाव का आकलन करने के साथ ही उसके संभावित समाधान का पता लगाने की कोशिश की”
हाल के निरीक्षण के दौरान सिन्हा की अगुवाई वाली और विभिन्न राज्य एजेंसियों के विशेषज्ञों की संयुक्त टीम के मुताबिक मारवाड़ी वार्ड (Marwari Ward) में जेपी कॉलोनी का एक हिस्सा एक सीधी रेखा में क्षतिग्रस्त हो गया है। टीम ने पाया कि सिंहधर और सुनील, जो कि पहाड़ी शहर की ऊंचाई पर हैं और जोशीमठ के ऊपर एक ही रेखा पर बसे हुए हैं, भी इस संकट से प्रभावित हैं। सिन्हा ने कहा कि पानी उसी लाइन के साथ लीक हुआ है, जिसे देखकर लगता है कि सिंहधर धारा नाम की जलधारा इसी इलाके से होकर गुजरती थी।
चमोली डीएम ने कहा कि इन ढांचों की सटीक तादाद तय करने के लिये निरीक्षण शुरू हो गया है। डीएम के मुताबिक क्षतिग्रस्त सुपरस्ट्रक्चर जैसे घर या पुलिया को जल्द से जल्द हटाया जाना चाहिये। सोमवार को रुड़की में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (Central Building Research Institute) और हैदराबाद में नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Geophysical Research Institute) के विशेषज्ञों ने जोशीमठ में इलाके का गहन भूभौतिकीय सर्वेक्षण (Geophysical Survey) शुरू किया।