ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानि अनुकूल समय। 24 घंटे में 30 मुहूर्त होते हैं। 30 मुहूर्त में 8 प्रहर होते हैं। ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurtha) रात्रि का चौथा प्रहर होता है। चौथा प्रहर उषा नाम से है। आठ प्रहर के नाम:- दिन के चार पूर्वान्ह, मध्यान्ह, अपरान्ह और सायंकाल। रात्रि के चार:- प्रदोष निशिथ, त्रियामा एवं उषा।
सूर्योदय के पूर्व के प्रहर में दो मुहूर्त होते हैं। उनमें से पहले मुहूर्त को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। दिन-रात का 30वां भाग मुहूर्त कहलाता है अर्थात् 2 घटी या 48 मिनट का कालखंड मुहूर्त कहलाता है। उसके बाद वाला विष्णु का समय है जबकि सुबह शुरू होती है, लेकिन सूर्य दिखाई नहीं देता। हमारी घड़ी के मुताबिक सुबह: 4.24 से 5.12 का समय ब्रह्म मुहूर्त है।
प्रात: काल उठने के पश्चात् हस्त दर्शन करते हुए ये श्लोक पढ़ना चाहिए:-
।।करागे वसति लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती। कर मूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्॥
ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या करें :
ब्रह्म मुहूर्त में 4 कार्यों में से कोई एक कार्य करें
1.संध्या वंदन 2.ध्यान 3.प्रार्थना 4.अध्ययन।
वैदिक रीति से की गयी संध्या वंदन सबसे उचित। उसके बाद ध्यान फिर प्रार्थना। विद्यार्थी वर्ग को संध्या वंदन के बाद अध्ययन करना चाहिये। अध्ययन के लिये ये समय सबसे उत्तम माना गया है।
।। ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी।
अर्थात : ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या न करें
नकारात्मक विचार, बहस, वार्तालाप, संभोग, नींद, भोजन, यात्रा, किसी भी प्रकार का शोर आदि। ये देखा गया है कि बहुत से लोग इस समय जोर-जोर से आरती और पूजन-पाठ (Aarti and worship) आदि करते हैं। कुछ तो हवन (Havan) करते हैं ये अनुचित है। इससे वे खुद को और दूसरों को संकट में डाल देंगे। विद्वान मनुष्य को चाहिये कि वे ऐसे लोगों से दूर रहें।
- वैज्ञानिक शोधों से ज्ञात हुआ है कि ब्रह्म मुहूर्त में वायुमंडल प्रदूषणरहित होता है। इसी समय वायुमंडल में ऑक्सीजन (प्राणवायु) की मात्रा सबसे अधिक (41 प्रतिशत) होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिये महत्वपूर्ण होती है। शुद्ध वायु मिलने से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। ऐसे समय में शहर की सफाई निषेध है।
- वैज्ञानिक खोजों से पता चला है कि इस समय ऑक्सीजन 41 प्रतिशत, करीब 55 प्रतिशत नाइट्रोजन और 4 प्रतिशत कार्बन डाईआक्साइड गैस रहती है। सूर्योदय के बाद वायुमंडल में ऑक्सीजन कम और कार्बन डाईआक्साइड बढ़ती है।
- आयुर्वेद के अनुसार इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है।
- ये समय अध्ययन के लिये भी सर्वोत्तम बताया गया है, क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति और ताजगी बनी रहती है। सुबह ऑक्सीजन का लेवल भी ज्यादा होता है तो मस्तिष्क को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है। जिसके चलते अध्ययन बातें स्मृति कोष में आसानी से चली जाती है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने का पौराणिक महत्व :
- इस समय संपूर्ण वातावरण शांतिमय और निर्मल होता है। देवी-देवता इस काल में विचरण कर रहे होते हैं। सत्व गुणों की प्रधानता (Primacy of Sataguna) रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिये जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार और पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
- जल्दी उठने में सौंदर्य, बल, विद्या और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ये समय ग्रंथ रचना के लिए उत्तम माना गया है।
- वाल्मीकि रामायण के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्री हनुमान ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद और यज्ञ के ज्ञाताओं के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनी।
वर्ण कीर्ति मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति। ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥
-भाव प्रकाश सार-93
अर्थात: ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता है।
वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।
॥ प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥- ऋग्वेद-1/125/1
अर्थात: सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
॥ यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥- सामवेद-35
अर्थात: व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच और स्नान कर लेना चाहिये। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिये। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
॥ उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे॥
- अथर्ववेद
अर्थात: सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है।
व्यावहारिक महत्व - व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिये ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।