बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ‘गल्फ न्यूज’ से खास़ बातचीत करते हुए कहा कि- संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को वजूद में लाना भारत का बेहद निजी मसला है। हालांकि मेरी निजी राय ये है कि सीएए लाना जरूरी नहीं था। भारत सरकार ने ऐसा प्रशानिक फैसला क्यों लिया, ये मेरी समझ से परे है।
भारत से शरणार्थियों के पलायन की बात नकारते हुए शेख हसीना ने कहा- भारत में लोग समस्याओं का सामना कर रहे है। बांग्लादेश हमेशा से ही भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से दूर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्टूबर 2019 को हुई दिल्ली यात्रा के दौरान मुझे आश्वास्त किया था कि, दिल्ली और ढ़ाका के संबंध बेहतर रहेगें। दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा और साथ ही हमारी दोस्ती अभी भी मजबूत है।
गौरतलब है कि एनआरसी द्वारा असम के मूल निवासियों और वहां अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों पहचान की जा रही है। 30 अगस्त, 2019 को जारी हुई एनआरसी सूची के मुताबिक 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख से ज़्यादा लोगों का नाम इस सूची में नहीं है। इन लोगों को न्यायालय और ट्रिब्यूनल में अपनी नागरिकता साबित करने के पर्याप्त अवसर देने का वादा केन्द्र सरकार ने किया है। कुछ दिन पहले लागू हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम के कारण देशभर में धरने प्रदर्शन हो रहे है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की प्रावधान है, जो भारत में 31 दिसम्बर, 2014 तक शरण ले चुके थे।
शेख हसीना से पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने भी सीएए और एनआरसी पर राय रखते हुए इसे भारत का निजी मामला बताया था।