Mantra: कलियुग में शक्तिशाली है ये मंत्र और स्तोत्र पाठ

जीवन में कई तरह के संकट है तो उन संकटों का आध्यात्मिक समाधान भी है। प्रत्येक धर्मों में कुछ ऐसे दिव्य मंत्र (Divya Mantra) और चमत्कारिक स्तोत्र के बारे में बताया गया है, जिनके जप या पाठ से हम संकटों से बाहर निकल जाते हैं। हमें दैवीय सहायता प्राप्त होती है और हमारा आत्मबल भी बढ़ जाता है। कलियुग में 6 दिव्य मन्त्र और 4 स्तोत्र पाठ काफी शक्तिशाली और असरकारक है।

दिव्य मंत्र

1. गायत्री मंत्र:

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्

मंत्र प्रभाव: ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंत्र है, जो ईश्वर के प्रति, ईश्वर का साक्षी और ईश्वर के लिये है। ये मंत्रों का मंत्र सभी हिन्दू शास्त्रों में प्रथम और ‘महामंत्र’ कहा गया है। हर समस्या के लिए मात्र ये एक ही मंत्र कारगर है। बस शर्त ये है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा ये मंत्र अपना असर छोड़ देता है।

2. महामृत्युंजय मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

मंत्र प्रभाव: शिव का महामृंत्युजय मंत्र मृत्यु और काल को टालने वाला माना जाता है, इसलिए शिवलिंग पर दूध मिला जल, धतूरा चढ़ाकर ये मंत्र हर रोज जाप करना संकटमोचक होता है। अगर आपके घर का कोई सदस्य अस्पताल में भर्ती है या बहुत ज्यादा बीमार है तो नियमपूर्वक इस मंत्र का सहारा लें।

3. श्रीकृष्ण मंत्र:

ॐ श्रीकृष्णाय शरणं मम। या

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥

मंत्र प्रभाव: इस मंत्र का नित्य जप करने से कलह और क्लेशों (Strife And Tribulations) का अंत होकर परिवार में खुशियां वापस लौट आती हैं। प्रतिदिन पहले मंत्र का जप तब करना चाहिए जबकि आप श्रीकृष्ण के अलावा अन्य किसी देवी या देवता में चित्त नहीं रमाते हो। कृष्ण की शरण में होने के बाद फिर किसी अन्य को नहीं भजना चाहिए।

4. शिव मंत्र:

ॐ नम: शिवाय

मंत्र प्रभाव: इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से चिंतामुक्त जीवन मिलता है। ये मंत्र जीवन में शांति और शीतलता प्रदान करता है। शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाते हुए ये शिव मंत्र बोले और रुद्राक्ष की माला से जप भी करें। तीन शब्दों का ये मंत्र महामंत्र है।

5. राम मंत्र:

राम... राम... राम....

मंत्र प्रभाव: हनुमानजी भी राम नाम का ही जप करते रहते हैं। कहते हैं राम से भी बढ़कर श्रीराम का नाम है। इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से मन में शांति का प्रसार होता है, चिंताओं से छुटकारा मिलता है तथा दिमाग शांत रहता है। राम नाम के जप को सबसे उत्तम माना गया है। ये सभी तरह के नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है और हृदय को निर्मल बनाकर भक्ति भाव का संचार करता है।

6. हनुमान मंत्र:

ॐ हं हनुमते नम:।

मंत्र प्रभाव: यदि दिल में किसी भी प्रकार की घबराहट (Nervousness), डर या आशंका है तो निरंतर प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें और फिर निश्चिंत हो जाये। किसी भी कार्य की सफलता और विजयी होने के लिए इसका निरंतर जप करना चाहिये। ये मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाता है। हनुमानजी को सिंदूर, गुड़-चना चढ़ाकर इस मंत्र का नित्य स्मरण या जप सफलता व यश देने वाला माना गया है। यदि मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा है तो इस मंत्र का तुरंत ही जप करना चाहिए।

महाशक्तिशाली स्तोत्र पाठ

1. श्री राम रक्षा स्तोत्र: इसका नित्य पाठ करने से धन, सुख, समृद्धि और निर्भीकता का संचार होता है। नित्य पाठ करने वाले की प्रभु श्रीराम और उनके भक्त हनुमान स्वयं रक्षा करते हैं।

2. विष्णु सहस्त्र नाम स्तोत्र: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

3. सुंदरकांड का पाठ: हनुमानजी के सुंदर काण्ड का पाठ सप्ताह में एक बार जरूर करना चाहिये। सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो सुंदरकाण्ड के पाठ से संकट तुरंत ही दूर हो जाता है। प्रतिदिन हनुमानी चालीसा का पाठ या बजरंगबाण का पाठ करने से ही यही लाभ प्राप्त होते हैं।

4. दुर्गा सप्‍तशती या चण्‍डी पाठ: दुर्गा सप्‍तशती या चण्‍डी पाठ करने के लिये बहुत सावधानी और पवित्रता रखना जरूरी होता है। उक्त पाठ पढ़ने से साधक को तीनों लोक में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता और ना ही उसे किसी भी प्रकार का रोग और शोक परेशान कर सकता है। बारंबार इसका पाठ करने से जातक को कई तरह की सिद्धियां प्राप्त होती है।

साभार- मनीष दुबे

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