न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे (Adani-Hindenburg Issue) के बारे में एक और जनहित याचिका (PIL) सुप्रीम कोर्ट में पेश की गयी है, इसके बाद से ही भारतीय मीडिया का ध्यान इस ओर बना हुआ है। इसी मामले से जुड़ी तीसरी जनहित याचिका कोर्ट के सामने पेश की गयी है। याचिका के मुताबिक अडानी ग्रुप के उद्यमों ने गलत तरीके से भारतीय स्टेट बैंक और एलआईसी (State Bank of India and LIC) के जरिये आम निवेशकों के पैसे को हड़पने की कोशिश की है। इसी मामले को लेकर जांच की मांग की गयी है, याचिका में गुज़ारिश की गयी है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अडानी ग्रुप की संस्थाओं की जांच की निगरानी करें।
कांग्रेस राजनेता जया ठाकुर (Congress politician Jaya Thakur) ने सबसे हालिया याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि एलआईसी और एसबीआई ने अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में 3200 रूपये प्रति शेयर की कीमत पर निवेश किया, भले ही सैकेंडरी मार्केट में शेयर की कीमत 1800 रुपये तक गिर गयी थी। अपील में केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय, सीबीआई, ईडी, सीबीडीटी, डीआरआई और एनसीबी (DRI and NCB) के साथ-साथ सेबी, आरबीआई, एसएफआईओ, एलआईसी, एसबीआई और अदानी ग्रुप की सहायक इकाइयों का नाम भी शामिल है।
अडानी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर अधिवक्ता विशाल तिवारी और एमएल शर्मा (Advocates Vishal Tiwari and ML Sharma) ने पहले ही दो याचिकायें सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी हैं। दायर की गयी सबसे हालिया याचिका की सुनवाई 17 फरवरी 2023 को कोर्ट की ओर से सुनी जायेगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि उन्हें 13 फरवरी को होने वाली सुनवाई में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिये मौजूदा नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिये समिति के गठन को लेकर कोई समस्या नहीं है। शेयर बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कहा है कि ये इसके विरोध में है। एजेंसी ने ऐलान किया है कि वो अडानी ग्रुप और उसकी कंपनियों के शेयरों में बदलाव पर हिंडनबर्ग के दावों पर वो गौर कर रही है, जो मामले की सुनवाई कर रही बेंच के सामने पेश किये गये थे और न्यायिक बेंच की अगुवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) कर रहे थे।