Diwali 2021: बताये गये मंत्र विभिन्न साधकों एवं ग्रंथों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। भगवती लक्ष्मी जी की साधना में कमलगट्टे और स्फटिक माला (Crystal Garland) उपर्युक्त है। इसके अतिरिक्त तुलसी, चन्दन, वैजन्ती, पीला हकीक, हरिद्रा माला (Haridra Mala) भी प्रयोग में ले सकते हैं। दीपावली वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पर्व है, इसमें की गयी साधना शीघ्र फलदाई होती है।
वैसे शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) तक पूरा माह लक्ष्मी साधना के लिये फलदायी बताया गया है पर विशेष मुहुर्त में की गयी साधना शीघ्र प्रभाव देती है। दीपावली और होली की रात्रि में किसी भी मंत्र की एक माला का प्रभाव 101 माला के बराबर होता है। सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) और चन्द्र ग्रहण काल में जिस क्षेत्र में ग्रहण हो वहां ग्रहण शुरू होने से समाप्त होने तक एक माला का प्रभाव 51 माला के बराबर होता है।
पुष्य नक्षत्र और नवरात्र में एक माला जप का प्रभाव 21 माला के बराबर होता है, इसलिए दीपावली की रात्रि साधना (Ratri Sadhna) के लिए सर्वश्रेष्ठ है। ऐसा विद्बानों और सिद्ब साधकों ने अनुभव किया है।
Diwali पर माता महालक्ष्मी के विभिन्न मंत्र साबर मंत्र और तांत्रिक मंत्र
1. दारिद्यनाशक धनवृद्बि महालक्ष्मी कृपा मंत्र
लक्ष्मी माता जगतजननी, तेरा रूप है बहुत सुहायै,
कमल फूल पर बैठी मईया, धन दौलत में करें सहाये,
जिससे रूष्ट होये तू मईया, उसके काम बनने के नाये,
होम रचाऊं मईया तेरा, मेरे काम समारो आये,
जितने दारिद्रय है मईया मुझ पर, सारे दारिद्रय देयो हटाये
शब्द सांचा पिंड खांचा फले मंत्र ईश्वरो वांचा
सत्यनाम आदेश गुरु को,
विधि- दीपावली या होली की रात में इस मंत्र की सात माला (7 माला) जप करना है और एक माला हवन से करें। हवन सामग्री में घी और शक्कर मिलाकर आहुति दे। दीपावली पर दरिद्रता नाशक ये सर्वश्रेष्ठ प्रयोग है। फिर नित्य 21 बार या एक माला जपे। इससे साधक के जीवन में किसी प्रकार से आर्थिक समस्या नहीं रहती
2. ॐ प्रजलीत मां कमला देवी,
सरव काज पूरन करो मां,
मैं अस तमारे प्रजलीत हो जगदम्बिके,
विधि- दीपावली या होली की रात में 11 माला जप करें और एक माला हवन से करें। या किसी शुभ मुहूर्त में 21 दिन नित्य पांच माला जप करें और अंतिम दिन एक माला हवन करें और एक कन्यायों को भोजन अवश्य करायें इससे परिवार में अन्न धन की कमी नहीं रहती।
3. ओम कामरूप कामाख्या देवी, जहां बसै लक्ष्मी महारानी आवै घर में जमकर बैठे, सिद्ध होय मेरा काज सुधारे,
जो चाहूं हो होय,
ओम ह्मीं ह्मीं ह्मीं फट्
विधि- इसे नित्य 11/21 बार जपे पहले होली या दीपावली की रात में जप लें 108 या नवरात्र में नौ दिन नित्य 21 बार जपे। इसके जाप से धान्य की वृद्धि होती है सुख समृद्धि आती है।
4.ओम विष्णु प्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामाक्षा भगवती, आदिशक्ति युगल मूर्ति अपार,
दोनों की प्रीती अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढा व्यय घटा दया कर माई, ओम नमः विष्णु प्रियायै ओम नमः शिव प्रियायै ओम नमः कामाक्षायै ह्मीं ह्मीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा
विधि- इस मंत्र का भी होली या दीपावली की रात 108 बार जपे फिर नित्य 21 बार या एक माला करें। इससे घर और व्यापार में लाभ होता है बरकत रहती है।
5. ओम नमो भगवती पदमा श्रीं ॐ ह्मींं पूरब दक्षिण, उत्तर पश्चिम, धन द्रव्य आवै सर्वजन वश्यं कुरु कुरु नमः
विधि- इस मंत्र का १०८ बार जप करें तो धनागमन होता है। व्यापार में वृद्धि होती है।
6. ओम शुक्ले महाशुक्ले कमलदल निवासे श्रीमहालक्ष्मी नमो नमः लक्ष्मी माई सत् की सवाई आओ चेतो करो भलाई न करो तो सात समुद्र की दुहाई ,ऋद्बि सिद्बि न करै तो, नौ नाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई।
7.ओम नमो महादेवी महाशुक्ला, कमलदल निवासी,
लक्ष्मी माई सत्य की सवाई, अचानक धन लेकर आओ माई
करो भलाई, और न करो तो, सात समुद्र की दुहाई
ऋद्धि सिद्धि नहीं लाओगी तो नवनाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई
इन दोनों मंत्रो का नित्य 51 या 108 बार जपे इससे सुख समृद्बि आती है। दीपावली होली की रात अथवा ग्रहणकाल में 108 बार जपे।
8. ओम नमो भगवती समंदर की बेटी, विष्णु की रानी, आओ आओ लक्ष्मी महारानी, हम मानुष तुम भगवती,
हमें भी बनाओं कुबेरपति, जो न बनाओ धनपति तो कुबेर की नव निधियों की आन, सात समंदर की दुहाई,
दुहाई दुहाई श्रीनाथ भगवान की
ये भी अद्भुत मंत्र है नित्य 21 या 51 बार जपे। माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है होली या दीपावली की रात 108 बार जपे।
9. ओम श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्बिम श्रीं श्रीं श्रीं नमः
दीपावली की रात 108 बार जपे फिर नित्य 108 बार जाप करें।
10.ओम नमो ह्मीं श्रीं क्लीं क्लीं लक्ष्मी मम गृहे चिन्ता दूर करोति स्वाहा
11. ओम ह्मीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिन्ता दूरय दूरय नमः
12.ओम नमो ह्मीं श्रीं क्लीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी गणेशाय मम गृहे चिन्ता दूर करोति स्वाहा
ये तीनों मंत्र का जप धन समृद्धि दायक है।
13.ओम सागरसुता, नारायण की प्यारी
चन्द्र भ्राता की सौगंध हाजिर हो,
इक्कीस तक नित्य 21 माला जप करें और अंतिम दिन एक माला हवन से करें। रोहिणी नक्षत्र से या दीपावली की रात से शुरू करें। इससे धन-धान्यादि की वृद्धि सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
14. राम राम क्या करें चीनी मेरा नाम
सर्व नगरी वंश में करूं मोहूं सारा गांव
राजा को बकरी करूं नगरी करूं बिलाई
नीचा में ऊंचा करूं सिद्ब गोरखनाथ की दुहाई
ये दरिद्रता नाशक मंत्र हैं नित्य जप से धनागमन होता है।
15.अक्षय धन प्राप्ति मंत्र
लक्ष्मी प्रार्थना
हे मां लक्ष्मी शरण हम तुम्हारी,
पूरन करो अब माता कामना हमारी,
धन की अधिष्ठात्री जीवन सुख दात्री,
सुनो सुनो अम्बे सद्गुरु की पुकार,
शंभू की पुकार, मां कामाख्या की पुकार,
तुम्हें विष्णु की आन् अब मत करो मान
आस लगाकर ध्यान लगाकर हम देते हैं दीपदान
मंत्र
ओम नमः विष्णु प्रियायै ओम नमः कामाक्षायै ,ह्मीं ह्मीं ह्मीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्री श्रीं फट स्वाहा
108 आटे के दिये बना लें एक एक बार मंत्र पढ़कर दीप प्रज्वलित करें कुल 108 बार पढ़े। दीपावली की पूजा के समय फिर नित्य कम से कम 21 बार मंत्र जपे शरद पूर्णिमा, दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा, अक्षय तृतीया,ग्रहण काल पुष्य नक्षत्र में ये प्रयोग कर सकते हैं।
16. कमला शाबर मंत्र
सतनाम आदेश गुरु को, आदेश ॐ गुरु जी,
ओम अयोनि शंकर ओंकार रूप
कमला देवी सती पार्वती का रूप
हाथ में सोने का कलश, मुख में अभयमुद्रा
श्वेत वर्ण
सेवा पूजा करें नारद इन्द्र,देवी देवता ने किया जय ओंकार,
कमला देवी पूजैं केशर पान सुपारी फतरी तिल गूग्गल
सहस्त्रो कमल का किया हवन !
कहें गोरख मन्त्र जपो जाप ऋद्वि सिद्धि की पहचान
गंगा गौरजा पार्वती जान , जिसकी तीन लोक में भया मान, कमला देवी के चरण कमलों को आदेश
इतना कमला जाप संपूर्ण भया, श्रीनाथ जी गुरु जी को आदेश आदेश
माता कमला लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और सिद्भि के लिये ये मंत्र बताया गया है।
17.धान्य लक्ष्मी साबर मंत्र
ॐ नमः अन्नपूर्णा धान्यलक्ष्मी ,
अन्न पूरय पूरय पूरय घृत पूरय पूरय,
संग गणपति जो पाती पूरे
ब्रहमा विष्णु महेश तीनों देवतन,
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
श्री गुरु गोरखनाथ की दुहाई,
फूरों मंत्र ईश्वरी वाचा
विधि- दीपावली अथवा सर्वाथसिद्बियोग से ये प्रयोग करना चाहिए। मां लक्ष्मी और अन्नपूर्णा गणपति की पूजा कर नित्य एक माला जप करें नब्बे दिन (तीन महीने) भोजन सामग्री नित्य मां अन्नपूर्णा लक्ष्मी को भोग लगाकर एक भाग कूंऐ अथवा किसी जलाशय में वरूण देवता और अन्नपूर्णा लक्ष्मी का ध्यान कर डाल दें। फिर नित्य एक ब्राह्मण को भोजन करायें इस तरह तीन महीने तक करें। तो प्रयोग सिद्ब होता है इससे आपके कुल और परिवार में अन्न धन की कभी कमी नहीं रहेगी।
18.आवो लक्ष्मी बैठो आंगन ,रोरी तिलक चढ़ाऊं
गले में हार पहनाऊं, वचनों की बांधी,
आवो हमारे पास , पहला वचन श्रीराम का,
दूजा वचन ब्रहमा का, तीजा वचन महादेव का,
वचन चूकै तो धनपति कुबेर की दुहाई,
सकल पन्च में पाठ करूं, वरदान नहीं देव, तो,
महादेव शक्ति की आन,
विधि- दीपावली की रात में पूजा के बाद पांच माला जाप करें तो बर्ष भर धन की कभी नहीं होगी। इससे धन का आकर्षण होता है। फिर नित्य 21 बार जपे।
19.कुबेर धन लक्ष्मी मंत्र
ओम ह्मीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्टलक्षम्यै मम गृहे धनम पूरय पूरय नमः
दीपावली की रात 108 जाप करें या 21दिन नित्य एक माला जप करें फिर नित्य 21 बार जपे। इससे धन-धान्यादि की वृद्धि होती है।
20. ओम ह्मीं कमलायै सरव सुख दायिनी कष्टनाशिनी कमलायै नमो नमः
ये भी माता कमला देवी का मंत्र हैं प्रत्यक्षसिद्बि पाने का इसका 7 लाख जप से कमला देवी की सिद्धि प्राप्त होती है।
21.आद्या महालक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं श्रीं आद्या महालक्ष्म्यै कमलधारिण्यै
सिंहवाहिन्यै नमः
इसका एक लाख जाप करें , इससे सर्व कार्य सिद्धि और शत्रु नाशक एवं विजय प्राप्ति होती है।
सिद्ध लक्ष्मी मंत्र
ओम श्री ह्मीं क्लीं श्रीं सिद्बलक्ष्म्यै नमः
ये महालक्ष्मी के त्रिगुणात्मक और सर्वशक्तिमय स्वरूप का मंत्र है। इस स्वरूप में भगवती लक्ष्मी जी के 1008 रूपों की शक्ति समाहित है, इसके जाप से पूर्ण भाग्योदय होता है। इन्हें पूर्ण लक्ष्मी भी कहा जाता है। य् भी सात लाख जाप से सिद्ध होता है, स्फटिक या कमलगट्टे की माला से जप करें। अनुष्ठान में गाय के घी का दीपक जलायें।
22. ओम ऐं ईं ह्मीं श्रीं क्लीं हृसौ: दारिद्यविनाशिनी जगतप्रसूत्यै नमः
ये भी कमला महाविद्या की सिद्धि का मंत्र है। ये बारह जाप से सिद्ध होता है।
23.ओम श्रीं ह्लीं श्रीं कमले कमलालयै प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्लीं श्रीं ओम महालक्ष्म्यै नमः
ये व्यापार वृद्धि और धनागमन में उपर्युक्त है। ये भी पांच लाख जाप से सिद्ध होता है।
24. ओम मणि पदमे भुवनेश्वर्यै महालक्ष्मी हूं ह्मीं
इसका सवा लाख जाप एवं दशांश हवन करना चाहिए। इसके जाप से सुख समृद्धि और भौतिक और आध्यात्मिक लाभ होता है।
25.महात्रिपुरा लक्ष्मी (महाकामेश्वरी महालक्ष्मी) मंत्र
श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्मीं क ए ई ल ह्मीं ह स क ह ल ह्मीं स क ल ह्मीं सौ: ऐं क्लीं ह्लीं श्रीं
इसका सात लाख जाप करना चाहिये। ये अद्भुत साधना है। ये समस्त प्रकार के ऐश्र्वर्यप्रद सर्वसिद्धि प्रद है भोग और मोक्ष दोनों एक साथ देने में सक्षम है। धन धान्य समृद्धि और शत्रु नाशक, विद्या प्राप्ति होती है एवं कुंडलिनी जागरण साधना के लाभ भी प्राप्त होते हैं।
इसकी साधना से कामदेव साधना का लाभ भी प्राप्त होता है। पूर्ण सौंदर्य कामत्व की वृद्धिकारक एवं पूर्ण पौरुष की प्राप्ति होती है। आकर्षण सम्मोहन वशीकरण शक्ति उत्पन्न होती है। शरीर के रोगों का नाश होता है। ये मंत्र महाभोग और महायोगत्व प्रदान करता है। श्रीयंत्र के सामने इस मंत्र का जप करने पर इसका प्रभाव दुगुना हो जाता हैं।
26. वसुधा लक्ष्मी ( भू लक्ष्मी) मंत्र
ॐ ग्लौं श्रीं अन्नं महन्नं में देहिन्नाधिपतये ममान्नं प्रदापय स्वहा श्रीं ग्लौं ॐ
सवा लाख जाप करें एवं दशांश हवन करें, हवन नहीं करने पर दशांश जाप का दुगुना अतिरिक्त जाप करें। इसके जाप से भूमि भवन से संबंधित सभी सुख प्राप्त होते हैं।
27.सौभाग्य लक्ष्मीं
ओम ऐं ह्मीं श्रीं सौभाग्य लक्ष्म्म्यै श्रीं ह्लीं ऐं नमः
सवा लाख जाप करें इस के जाप सै भाग्योदय एवं सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
28. तुलसी लक्ष्मी मंत्र
ओम ऐं ह्मीं श्रीं तुलसी लक्ष्म्यै श्रीं ह्लीं ऐं नमः
एक लाख जाप करें इससे सुख सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। माता तुलसी देवी और लक्ष्मी की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। इसका जाप श्रीयंत्र के सामने करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं।
29.ओम ह्मीं लक्ष्मी दुर्भाग्य नाशिनी सौभाग्य प्रदायिनी श्रीं नमः
इसका 51 हजार जप से सिद्ध होता है, इससे सुख समृद्धि प्राप्त होती दुर्भाग्य नष्ट होता है।
30.ओम गजलक्ष्मी ह्मीं ह्मीं गजलक्ष्मी ह्मीं ह्मीं गजलक्ष्मी हुं नमः
इसका सवा लाख जाप करें सभी भौतिक सुख की प्राप्ति होती है विघ्नों का नाश होता है।
31. ओम श्रीं ह्लीं क्लीं श्रीं क्लीं पदमिनी देवी, नवनिधीदात्री, कुबेर धनकोष वासिन्यै नमः
इसके सवा लाख जप करें तो धनलक्ष्मी और कुबेर देवता की कृपा प्राप्त होती है।
इसके अलावा माता महालक्ष्मी के कुछ शक्तिशाली मंत्र इस तरह है
32. ओम ह्मीं ह्मीं ह्मीं स्वर्णप्रदा लक्ष्मी मम गृह आगच्छाय आगच्छाय ह्मीं ह्मीं ह्मीं नमः
33. ओम श्रीं श्रीं ह्लीं ह्मीं धं धनदात्री धनेश्वरी धनवर्षिणी धनलक्ष्मी प्रसीद प्रसीद मम गृहे आगच्छाय आगच्छाय ह्मीं ह्मीं श्रीं श्रीं श्रीं नमः
34.ओम ह्मीं कमलवासिन्यै प्रत्यक्ष ह्मीं फट्
35.ओम ऐं ऐं अक्षय लक्ष्म्यै नमः
36. ओम श्रीं श्रीं ह्लीं ह्लीं ललिता महात्रिपुरसुन्दर्यै महालक्ष्मी नमः
37.ओम श्रीं श्रीं श्रीं ह्लीं ह्मीं राजलक्ष्म्यै नमः
38. ॐ ऐं क्लीं ह्मीं श्रीं त्रिपुरालक्ष्म्यै नमः
39.ऐं श्रीं ह्लीं क्लीं
40.ओम श्री ह्मीं श्रीं कमलवासिन्यै नमः
41.ओम श्रीं ऐं श्रां श्रीं श्रैं श्रौं श्रूं श्र: फट्
42.ओम ह्मीं श्रीं क्लीं जगदीशवर्यै नमः
43.ओम ह्मीं श्रीं क्रीं कमलेशवर्यै नमः
44.ओम ह्मीं श्रीं क्लीं सुरेश्वर्यै नमः
45.ओम ह्मीं श्रीं क्रीं परमेश्वर्यै नमः
46.ओम ह्मीं श्रीं विशम्भर्यै नमः
47.ओम ह्मीं राजलक्ष्म्यै नमः
48.ओम श्रीं ह्लीं क्लीं राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः
49.ओम रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै महालक्ष्म्यै नमः
50.ओम श्रीं इन्दिरा श्रीं ह्मीं ॐ नमः
51.ओम ह्मीं श्रीं पदमायै नमः
52.ओम भगवती रमादैव्यै विष्णु प्रियायै नमः
53.ओम ह्मीं वसुधा लक्ष्म्यै नमः
54.ॐ श्रीं ह्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मीरागच्छागच्छ मम मंदिरे तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा
55.ॐ ह्मीं क्रीं त्रैं नमः सदोदितानन्द विग्रहायै ह्मीं क्रीं नमः
56.ओम ह्मीं जयायै नमः अजिताधामावस्थितायै ह्मीं जी्म नमः
57.ओम ह्मीं मायायै नमः मोहलक्षावस्थितायै नमः
58. ओम शं श्रीं वं ऐं ह्मीं श्रीं क्लीं गृहलक्ष्म्यै नमः
59.ओम श्रीं ह्लीं श्रीं कमलवासिन्यै मम गृहे आगच्छाय आगच्छाय श्रीं ह्लीं श्रीं नमः
60. ओम ऐं श्रीं ह्मीं श्रीं महाकमलायै नमः
61.ओम ह्मीं श्रीं भगवती चिंतामणि लक्ष्मी मम सर्वार्थ सिद्धि देही देही नमः
62.ओम श्रीं ह्मीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेशवर धनकोष वासिन्यै नमः
63.ओम श्रीं ह्मीं क्लीं हू्ं हू्ं त्रैलोक्यमोहिन्यै लक्ष्म्यै नमः
64.ओम धनलक्ष्म्यै च विदमहे श्रीं रतिप्रियायै च धीमहि ह्मीं स्वाहा शक्ति प्रचोदयात्
65.ओम महालक्ष्म्यै च विदमहे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
66.ओम लक्ष्मी तूर्तवलवाह लक्ष्मी स्व: कालकं धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
67.ओम महादेव्यै च विदमहे विष्णु बन्धनाय च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
68.ओम भूसख्यै च विदमहे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
69.ओम अमृतवासिन्यै च विदमहे पदमलोचनी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
70.ओम महालक्ष्म्यै विदमहे विष्णु प्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
71.ओम महालक्ष्म्यै च विदमहे महाश्रियै धीमहि तन्नो श्री प्रचोदयात्
72.ओम तेजोरूपायै च विदमहे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो श्री प्रचोदयात्
73.ओम ज्ञानप्रदायै विदमहे महाश्रियै धीमहि तन्नो श्री प्रचोदयात्
74.ओम लक्ष्मी दैव्यै च विदमहे श्रीदेव्यै धीमहि तन्नो श्री: प्रचोदयात्
75.ओम त्रिशक्तिलक्ष्म्यै विदमहे, महाभैरव्यै धीमहि तन्नो श्री प्रचोदयात्
76.ओम साम्राज्य लक्ष्म्यै जयंकर्यै धीमहि तन्नो श्री,: प्रचोदयात्
77.ओम कमलवासिन्यै च विदमहे कमललोचन्यै च धीमहि तन्नो कमला प्रचोदयात्
78.ओम अमृतवासिन्यै च विदमहे अमृतसंजीवन्यै च धीमहि तन्नो अमृतसंजीवनीलक्ष्मी प्रचोदयात्
79.ओम पदमायै विदमहे पदमसुंदर्यै च धीमहि तन्नो पदमाक्षी प्रचोदयात्
80.ओम रमायै विदमहे विष्णु वल्लभायै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
81.ओम पदमिन्यै च विदमहे कुबेर धनकोषवासिन्यै च धीमहि तन्नो धनलक्ष्मी प्रचोदयात्
82.ओम सर्वशक्त्यै च विदमहे सर्वसिद्धि प्रदायै धीमहि तन्नो सिद्धलक्ष्मी प्रचोदयात्
83.ओम इन्दिरायै विदमहे अमृतवासिन्यै च धीमहि तन्नो इन्दिरा प्रचोदयात्
84.ओम त्रिगुणात्मिकायै च विदमहे त्रिशक्ति रूपायै च धीमहि तन्नो त्रिशक्तिलक्ष्मी प्रचोदयात्
85.ओम राजराजेश्वर्यै च विदमहे सर्व ऐश्र्वर्यप्रदायै धीमहि तन्नो साम्राज्यलक्ष्मी प्रचोदयात्
86.ओम भाग्यलक्ष्म्यै विदमहे अष्टलक्ष्म्यै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
87. ओम श्रीं ह्मीं अष्ट लक्ष्म्यै मम सर्व सुख समृद्धि देही देही नमः
88. ओम श्रीं अष्ट लक्ष्म्यै नमः
90. ओम ह्मीं अष्ट लक्ष्म्यै नमः
91.ओम श्रीं श्रियै नमः
92.ओम श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं श्रीं महाश्रियै नमः
93. ओम ह्मीं ह्मीं धन-धान्य समृद्धि दात्री, दारिद्यविनाशिनी महालक्ष्मी मम गृहे आगच्छाय आगच्छाय ह्मीं ह्मीं ओम नमः
94.ओम नमो नारायणप्रियायै
95. ओम नमो भगवति वासुदेवप्रियायै
96. ओम नमः विष्णु प्रियायै
97 ओम नमो भगवती कमलायै मम सर्व कार्य सिद्धि देही देही जगदीश्वर्यै नमः
98. ओम ऐं ह्मीं श्रीं सर्व काम्य सिद्धिं महापदमायै फट्
99. ओम ह्मीं सर्व कार्य सिद्बये फट्
100. ओम श्रीं महालक्ष्मी आगच्छ धनं देही देही नमः
101. ओम ऐं ह्मीं श्रीं ह्लीं श्रीं क्लीं श्रीं श्रीं ऐश्र्वर्य लक्ष्मी आगच्छ आगच्छ देह्मय ऐं श्रीं फट्
102. ओम ऐं ह्मीं श्रीं वैभव लक्ष्म्यै श्रीं ह्लीं ऐं नमः
103.ओम श्रीं ह्लीं आयुष्य लक्ष्मी दीर्घायुष्यम देही ह्मीं श्रीं ओम नमः
104. ओम श्रीं ह्लीं ऐं कं सन्तान लक्ष्म्यै कं ऐं ह्मीं श्रीं नमः
105. ओम क्लीं सकल शत्रु संहारायै क्लीं फट्
106. ओम ह्मीं लक्ष्म्यै आगच्छाय फट्
107. ओम श्रीं ऐं काम्यलक्ष्मी मनोबांछित सिद्धये ऐं श्रीं ओम
108. ओम ऐं क्लीं ह्लीं श्रीं भयनाशिन्यै विजय लक्ष्म्यै नमः
109.ओम श्रीं ह्लीं क्लीं लक्ष्मी नारायणायै नमः
110. ओम ह्मीं ह्मीं श्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः
111. ओम ह्मीं ह्मीं श्रीं श्रीं अर्द्ध लक्ष्मीश्रीहरये नमः
112. ओम ऐं ह्मीं श्रीं महापदमायै श्रीं ह्लीं ऐं नमः
113. ओम ऐं ईं ह्लीं श्रीं क्लीं ह्सौ: क्षी महापदमसुंदर्यै नमः
114 ओम श्रीं ह्लीं क्लीं गृहलक्ष्मी पूर्ण गृहस्थ सुख सिद्धये क्लीं ह्लीं श्रीं ओम नमः
115. ओम ऐं ह्मीं श्रीं ललिता महालक्ष्म्यै श्रीं ह्लीं ऐं नमः
116. ओम ह्मीं श्रीं ऐं क्लीं सौ: भगवत्यै दधि मथ्यै नमः
117. ओम ह्मीं श्रीं ऐं क्लीं सौ; महाकमलायै नमः
118. ओम श्रीं ह्लीं श्रीं धनवर्षिण्यै श्रीं ह्लीं श्रीं नमः
119.अष्ट लक्ष्मी माला मंत्र
ॐ नमो भगवत्यै लोकवशीकरमोहिन्यै ,
ॐ ईं ऐं क्षीं, ह्मीं श्रीं आदिलक्ष्मी, सन्तान लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, अष्टलक्ष्मी इत्यादयः मम हृदये दृढतया स्थिता सर्वलोकवशीकराय, सर्वराजवशीकराय, सर्वजनवशीकराय, सर्वकार्यसिद्धिदे, कुरु कुरु, सर्वारिष्टं जहि जहि, सर्वसौभाग्यं कुरू कुरू,ॐ नमो भगवत्यै श्रीमहालक्ष्म्यै ह्रीं फट् स्वाहा ।।
120. ॐ ऐं ह्मीं श्रीं श्रियै नमो भगवती मम समृद्धौ ज्वल ज्वल मां सर्व सम्पदं देहि देहि ममा अलक्ष्मी नाशय हुं फट् स्वाहा।