नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): अमेरिका से दो प्रीडेटर ड्रोन (American Predator Drones) को लीज़ पर लेने के बाद, भारतीय नौसेना अब हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी निगरानी क्षमताओं में इज़ाफा करने के लिए जल्द 1300 करोड़ रूपये की लागत से 10 शिपबोर्न ड्रोन हासिल करने जा रही है, जिसके लिए हाल ही में सरकारी मंजूरी मिली है। सरकारी सूत्रों मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के सामने भारतीय नौसेना द्वारा फास्ट ट्रैक मोड में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसके तहत नौसेना शिपबोर्न मानवरहित एरियल सिस्टम (Naval Shipborne Unmanned Aerial Systems) खरीदेगा। इसके लिए नौसेना वैश्विक खुली बोली के तहत आवदेन मंगवायेगा। जिसके बाद इस ड्रोन्स को अधिग्रहीत कर, निगरानी और टोही गतिविधियों के लिए नौ सेना के युद्धपोतों पर तैनात किया जायेगा।
शिपबोर्न मानवरहित एरियल सिस्टम की ज़्यादातर तैनाती बड़े युद्धपोतों पर की जायेगी। इसकी मदद से भारतीय प्रादेशिक जल सीमाओं और आसपास पड़ोसी देशों (खासतौर से चीन) से होने वाली सामरिक सामुद्रिक हलचल (Strategic maritime movement) पर पैनी नज़र बनाये रखने में आसानी होगी। भारतीय नौसेना अमेरिकी समुद्री गार्डियन ड्रोन का अधिग्रहण करने के लिए अलग से एक परियोजना पर काम जारी रखे हुए है। इसकी मदद भारतीय नौसेना का निगरानी दायरा कफी बढ़ जायेगा। दोनों देश संयुक्त रूप से अपने हितों को देखते हुए मेडागास्कर से मलक्का जलडमरूमध्य तक और उससे भी कही आगे तक नज़र बना पायेगें।
नौसेना अपने मौजूदा ड्रोनों को अपग्रेड प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर अपग्रेड कर रही है, जिस पर हाल ही में रक्षा मंत्रालय में व्यापक चर्चा के बाद शुरू किया गया था। भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अपने जंगी बेडे में लीज पर लिये दो अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोनों को शामिल किया। जो कि एक बार में 30 घंटे की उड़ान भरकर निगरानी करने की काबिलियत रखते है। इन ड्रोनों को भारतीय नौसेना आईएनएस राजली एयरबेस से ऑपरेट कर रही है। ये दोनों ड्रोन नवंबर के दूसरे हफ़्ते में भारत पहुंचे थे। नवंबर के तीसरे सप्ताह के दौरान इन्होनें काम करना शुरू कर दिया था। लीज़ समझौते पर लिये गये, इन ड्रोनों की करार शर्तों के तहत एक खास अमेरिकी टीम की तैनाती की गयी है। जो कि इन्हें संचालित करने वाले भारतीय नौसेना के कर्मियों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देती है। भारतीय नौसेना की इस तैयारी से चीन और पाकिस्तान की सांसें थमना लगभग तय माना जा रहा है।