न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा गतिरोध (Border Deadlock) को लेकर अब चीन ने भी अमेरिकी मध्यस्थता (American Arbitration) की बात को ठुकरा दिया। हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेशकश की थी, अगर भारत और चीन चाहे तो सीमा विवाद के मसले पर वे मध्यस्थता कर सकते हैं। भारत सरकार की ओर से ट्रंप की इस पहल को लेकर किसी भी तरह की सकारात्मक प्रतिक्रिया (Positive feedback) देखने को नहीं मिली। अब चीन ने भी मामले पर स्पष्टता जाहिर करते हुए, द्विपक्षीय वार्ता (bilateral negotiation) का हवाला दिया। साथ ही मामले पर तीसरे पक्षकार (Third party)
की भूमिका को नकारा।
अमेरिकी पहल पर चीनी विदेश मंत्रालय (Chinese Foreign Ministry) के प्रवक्ता झाओ लिजियान (Zhao Lijian) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा- दोनों देशों के बीच चल रहे सैन्य गतिरोध में, हम तीसरे वार्ताकार का हस्तक्षेप नहीं चाहते। भारत और चीन के बीच राजनयिक संवाद (Diplomatic communication) और बॉर्डर मेकैनिज्म बेहतरीन तरीके से माध्यम बन रहा है। मामले को आपसी पहल के द्वारा बातचीत करके सुलझा लिया जाएगा। फिलहाल वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों ओर के हालात सामान्य और संतुलित हैं।
भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने लद्दाख और सिक्किम से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्ट्रैटेजिक स्ट्रक्चर (Strategic structure) बनाए हैं। जिसकी वजह से दो हफ्तों के दौरान दोनों ओर की सेनाओं के बीच गतिरोध की घटनाएं सामने आई। तनाव बढ़ने के साथ नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की सख्ती और तैनाती में आक्रामकता देखी गई। दोनों ओर के सैनिकों का दावा है कि, वो अपने अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) में रहकर आधिकारिक कार्रवाई कर रहे थे।
विदेश मामलों के जानकार मानते हैं कि, मामले में अमेरिकी हस्तक्षेप (American intervention) की पहल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवशता (Compulsion) को दिखाता है। अगर वे मध्यस्थ (Mediator) की भूमिका निभाते, तो उनके सियासी खाते में एक बड़ी उपलब्धि (achievement) जुड़ती। जिसकी जरूरत उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले है। बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति उनके खाते में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है, जिसे लेकर वह चुनावी मैदान (Election ground) में उतर सकें।