WHO: सबसे खतरनाक रहेगा ये साल, बच्चों को टीका लगाने के बारे में दुबारा सोचे- डब्ल्यूएचओ प्रमुख

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक (Director General of WHO) तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने हाल में टीका राष्ट्रवाद और विकासशील देशों के मुद्दों को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होनें कहा कि दुनिया तबाही के कगार पर पहुँच चुकी है। ये हम सभी के नैतिक नाकामी है। टीके को वितरण को लेकर विकसित और विकासशील मुल्कों के बीच गहरी खाई साफ दिखाई दे रही है। ऐसे में वैक्सीन का समान रूप से बंटवारा होना चाहिये। साथ ही बच्चों का टीकाकरण करने के मसले पर देशों को एक फिर से सोचना चाहिये। उन्होनें आगे कहा कि, विकसित देशों को बच्चों का टीकाकरण रोककर गरीब देश को लोगों को वैक्सीन मुहैया करवानी चाहिये।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन अगले महीने से अपने कोवैक्स कार्यक्रम (CoVax Programme) को शुरू करने वाला है। जिसमें गरीब और आर्थिक असमानता से जूझ रहे देशों में टीकाकऱण की मुहिम शुरू की जायेगी। जिसके लिये बीते साल संगठन ने करीब 44 द्विपक्षीय करार किये। इस साल भी विश्व स्वास्थ्य संगठन मुहिम को आगे बढ़ाने के लिये 12 समझौते कर चुका है। महानिदेशक के मुताबित जमाखोरी और वैक्सीन राष्ट्रवाद के कारण कोवैक्स कार्यक्रम के अन्तर्गत टीका लोगों तक पहुँचाने में देरी होने की संभावनायें बनती दिख रही। महानिदेशक गेब्रयेसुस ने ये बातें डब्ल्यूएचओ की एक्जीक्यूटिव मीटिंग के दौरान कहीं।

उन्होनें कहा कि, विकसित देशों का पहले मैं वाला रवैया गरीब और कमजोर लोगों को मौत के मुहाने तक ले जाता सकता है। इस तरह का नासमझी महामारी को और फलने फूलने का मौका देगी। महानिदेशक ने दावा करते हुए कहा कि, विकसित देशों के लोगों तक कोरोना टीके की 3.9 करोड़ खुराकें पहुँच चुकी है। वहीं दूसरी ओर गरीब देशों को ढंग से 25 खुराकें भी उपलब्ध नहीं हो पायी है।

अफ्रीकी महाद्वीप के देशों ने जतायी चिंता

वैक्सीन जमाखोरी और टीकाकरण राष्ट्रवाद का दोषारोपण करते हुए महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने सीधे तौर पर किसी देश का नाम नहीं लिया। हालांकि उन्होनें कोरोना महामारी से बचाव के लिये पूरे दुनिया को टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने पर जोर दिया। बैठक में शामिल अफ्रीकी देश के प्रतिनिधि बुरकिना फासो (African country representative Burkina Faso) ने कुछ देशों द्वारा टीका इकट्ठा करने के मुद्दे पर घोर चिंता ज़ाहिर की। खुद महानिदेशक ने उनकी बात पर मुहर लगाते हुए असमानता की बात को माना। महानिदेशक ने विकसित देशों को कहा कि, वो अपने देश में वृद्धों, स्वास्थ्यकर्मियों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को टीका दे। युवा और सेहतमंद लोगों को बाद में टीका उपलब्ध करवाये। ताकि बचे हुये टीके का स्टॉक गरीब देशों के जरूरतमंद लोगों तक पहुँचाया जा सके।

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